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आईआईटी दिल्ली की पहल  - 'शुद्ध सेतु' नाम की सेनिटाइजेशन टनल


केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशांक' ने कोविड -19 संक्रमण के खिलाफ भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली (IIT दिल्ली) की शोध उपलब्धियों के लिए उनकी सराहना की है। शिक्षा मंत्री ने इस बात पर एक ट्वीट किया  था जिसमे उन्होंने लिखा था कि, "मैं #CoronavirusOutbreak के समय में इसको रोकने के लिए अग्रसर बढ़ाने के लिए संस्थान के डायरेक्टर प्रोफेसर रामगोपाल रावकदम के साथ -साथ सभी छात्रों और फैकल्टी का धन्यवाद करता हूँ,"।

आईआईटी दिल्ली ने कोविड -19 संक्रमण के लड़ने के लिए कई विभिन्न पहलुओं पर कुछ अनुसंधान और विकास परियोजनाओं की शुरुआत की जैसे PPE's (पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट), थ्री लेयर सर्जिकल मास्क के उत्पादन और हाई एफिशिएंसी फेस मास्क (N95), एंटीमाइक्रोबियल फैब्रिक डेवलपमेंट, SARS CoV2 डिटेक्शन असे, सैनिटाइजर के लिए तैयारी, कम लागत वाले वेंटिलेटर, स्क्रीनिंग डिजाइन करने वाले nCoV-19 के संरचनात्मक प्रोटीन और वायरस की तरह कणों वाले डिज़ाइन वैक्सीन बनाने के लिए आदि। अब तक संस्थान ने अस्पतालों और स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए थ्री लेयर सर्जिकल मास्क, हाई एफिशिएंसी फेस मास्क (N95) , अस्पताल से संक्रमण से सुरक्षा करने के लिए रोगाणुरोधी कपड़े, 3 प्लाई मास्क, लैमिनेटेड बुना हुआ कपड़ा चौग़ा और हाथ सेनिटाइज़र आदि विकसित किए थे।

अब इस पहल को आगे बढ़ाते हुए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली (IIT Delhi) के स्टार्टअप 'स्टायलो' की टीम ने एक और आविष्कार दिया हैं। 15 दिन की कड़ी रिसर्च के बाद भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली (IIT Delhi) के स्टार्टअप 'स्टायलो' की टीम ने एक सैनिटाइजेशनल टनल (फुल बॉडी स्प्रे) मशीन तैयार कर दी है जिसके द्वारा पूरी बॉडी को सैनिटाइज किया जा सकता हैं।  सैनिटाइजेशनल टनल  के 2 सैंपल दिल्ली सरकार द्वारा आजादपुर मंडी में लगवाए गए हैं। इस सैनिटाइजेशनल टनल को एक नाम भी दिया गया हैं - 'शुद्ध सेतु'।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली (IIT Delhi) के स्टार्टअप 'स्टायलो' की टीम द्वारा तैयार सैनिटाइजेशनल टनल  - 'शुद्ध सेतु' के बारे में अधिक जानकारी देने के लिए 'स्टायलो' के छात्रों ने इसके बारें में कुछ महत्वूर्ण बातें बताई। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली के छात्र विश्वजीत सिसोदिया ने इस आविष्कार के बारें में बताते हुए कहा कि कोविड-19 के कारण देश में 21 दिन का लॉकडाउन घोषित चल रह है लेकिन लॉक डाउन के बावजूद हमारे देश के कई वैज्ञानिक कुछ ऐसे शोध कार्य में लगे हुए हैं जो देश के हित में हैं। जहाँ एक तरफ सारा विश्व कोरोना वायरस महामारी से झुंझ रहा है वही विदेशों में इस दौरान कुछ नए आविष्कार जैसे सैनिटाइजेशनल टनल आदि भी तैयार किये जा चुके हैं। इसी को एक पहल देने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली (IIT Delhi) के स्टार्टअप 'स्टायलो' की टीम ने भी सैनिटाइजेशनल टनल  - 'शुद्ध सेतु' का निर्माण किया हैं।

 

सैनिटाइजेशनल टनल  - 'शुद्ध सेतु'

आईआईटी दिल्ली की टीम ने सैनिटाइजेशनल टनल के आइडिया पर 15 दिन काम किया। हालाँकि देश में लॉक डाउन की स्थिति में टीम के छात्रों को टनल के लिए सामन जुटाने में  काफी परेशानियों का  सामना करना पडा। इस पहली टनल की कुल लागत लगभग 1.5 लाख रुपए रही। इस टनल में उपयोग होने वाले सॉल्यूशन का खर्चा लगभग 24 घंटे में 2 से 3 हाजर रुपये का खर्चा होगा। इस आविष्कार के होने के बाद से इस टनल के लगभग 20 आर्डर भी आ चुके हैं। आर्डर देने के लिए उन कंपनी ने पहल की है जो देश में जरूरी सेवा के कामों में लगी हैं।

आईआईटी दिल्ली का देश के लिए योगदान

आईआईटी दिल्ली आज से नहीं बल्कि काफी समय से देश के हित्त में काम कर रही हैं। इससे पहले भी आईआईटी ने एक सुपर कंप्यूटर देश के हित में उपलब्ध करवाया था। इस महामारी के समय में जितने भी प्रोडक्ट्स उपलब्ध करवाए गए है वो टेक्सटाइल टेक्नोलॉजी विभाग, केमिकल इंजीनियरिंग विभाग और स्कूल ऑफ बायोलॉजिकल साइंसेज के तहत काम करने वाले शोधकर्ताओं द्वारा विकसित किए गए हैं। स्कूल ऑफ बायोलॉजिकल साइंसेज में प्रोफेसर विवेकानंदन पेरुमल के साथ काम करने वाली टीम ने COVID -19 की जांच के लिए डिटेक्शन असे भी विकसित किया है। इसी के साथ प्रोफेसर मनिदीपा बनर्जी अपनी टीम के साथ nCoV-19 के संरचनात्मक प्रोटीन के अवरोधकों की जांच के लिए आजादिराचट्टा इंडिका (नीम) से कम्प्यूटेशनल भविष्यवाणी और nCoV-19 के खिलाफ कामकरने वाले वैक्सीन पर भी काम करने में लगे हैं। इसी तरह, डिजाइन विभाग के प्रोफेसर पीवीएम राव के मार्गदर्शन में टीम कम लागत वाले वेंटिलेटर विकसित करने पर काम कर रहे हैं। COVID-19 के खिलाफ संस्थान में कई दीर्घकालिक और अल्पावधि परियोजनाएं चल रही हैं।

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