पूर्व आईएएस अधिकारी और जम्मू-कश्मीर पीपल्स मूवमेंट के अध्यक्ष शाह फैसल ने पिछले हफ्ते को जम्मू-कश्मीर में अतिरिक्त केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती पर चिंता व्यक्त करते होय कहा था कि हमारे राज्य में कुछ बड़ा होने वाला हैं। ये शायद कुछ भयानक रूप ले सकता हैं। कुछ लोगों ने केंद्र सरकार पर अनुच्छेद 35-ए को खत्म करने की शंका जताई थी। इसी बात को एहम मानते हुए सियासती वार चल रहा था। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि 35ए के साथ छेड़छाड़ बारूद को हाथ लगाने के बराबर है और इसी प्रकार उमर अब्दुल्ला समेत तमाम कश्मीरी नेताओं ने 35-ए के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ से बचने की सलाह दी थी। इस बारे में अलगाववादी संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने धमकी दी थी कि अगर फैसला अनुच्छेद 35A के खिलाफ आता है तो घाटी में जमकर विरोध किया जाएगा। गौरतलब है कि 2014 में इस आर्टिकल के खिलाफ पेटिशन फाइल की गई थी तब से अब तक इसपर सिर्फ बात ही की गई है।लेकिन अच्छा वक़्त तो आकर ही रहता हैं।
अनुच्छेद 35 A क्या है ?
अनुच्छेद 35 A के जरिये जम्मू कश्मीर को विशेष अधिकार दिए गए थे जिसमे स्थाई बाशिंदों का अधिकार शामिल थे। इसका मतलब है कि राज्य सरकार के पास ये अधिकार है कि वो आजादी के वक्त दूसरी जगहों से आए लोगों और अन्य भारतीय नागरिकों को जम्मू-कश्मीर में किसी तरह की सहूलियतें दे या ना दे ये पूरी तरह से उनके उपर निर्भर हैं। वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अनुच्छेद 35 A , धारा 370 का ही हिस्सा है।
अनुच्छेद 35 A के प्रावधान -
- अनुच्छेद 35-A के द्वारा जम्मू कश्मीर राज्य के सभी स्थायी नागरिकों के लिए स्थायी नागरिकता के नियम और नागरिकों के अधिकार तय होते थे।
- जम्मू कश्मीर सरकार उन लोगों को स्थाई निवासी मानती थी जो 14 मई 1954 के पहले कश्मीर में बस गए थे।
- ऐसे स्थाई निवासियों को राज्य में जमीन खरीदने, रोजगार हासिल करने और सरकारी योजनाओं में लाभ के लिए अधिकार मिले रहे थे।
- किसी दूसरे राज्य का निवासी जम्मू-कश्मीर में जाकर स्थाई निवासी के तौर पर नहीं बस सकता था।
- किसी दूसरे राज्य के निवासी ना तो कश्मीर में जमीन खरीद सकते थे, ना राज्य सरकार उन्हें नौकरी दे सकती थी।
- अगर जम्मू-कश्मीर की कोई महिला भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से शादी कर ले तो उसके अधिकार छीन जाते थे और पुरुषों के मामले में ये नियम अलग था।
अनुच्छेद 35 A का प्रावधान कब आया ?
14 मई 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पारित कर भारत के संविधान में अनुच्छेद 35A को जगह दी थी। इसको मूल संविधान का हिस्सा नहीं कहा जाता था। आजादी के 7 साल बाद अनुच्छेद 35-A को यानी संविधान में जोड़ा गया था। इसे संविधान के अनुच्छेद 370 (1) (d)के तहत जारी किया गया था। इस अनुच्छेद के पीछे नेहरू सरकार ने अहम रोल निभाया था। नेहरू कैबिनेट की सिफारिश पर तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पास कर इसको संविधान में जोड़ा दिया था। इसका आधार था दिल्ली एग्रीमेंट जो 1952 में प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्ला के बीच हुआ था। इसके बारे में सबसे अहम बात यह थी कि अनुच्छेद 35 A को संसदीय प्रणाली से कानून बनाने की प्रक्रिया को नजरअंदाज करके इसे राष्ट्रपति के आदेश के जरिए इसे संविधान में जोड़ा था।हालाँकि संविधान के अनुच्छेद 368(i) संविधान में किसी भी संशोधन का अधिकार सिर्फ संसद को देता है।
35-A अनुच्छेद के अंतर्गत कश्मीर के स्थायी निवासियों के लिए कुछ अलग नियम तय हुए थे जो सिर्फ कश्मीर के वासियों पर मान्य थे। इसमें कश्मीर के स्थायी निवासियों को विशेष अधिकार और सुविधाएं दी गई जैसे नौकरियों, संपत्ति की खरीद-विरासत, स्कॉलरशिप, सरकारी मदद और कल्याणकारी योजनाओं से जुड़ी सुविधाओं में उन्हें विशेष अधिकार मिले थे।