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क्या आपका बच्चा भी लॉकडाउन में हो रहा है स्मार्ट गैजेट्स का शिकार, अपनाये ये टिप्स

मोबाइल फोन, लैपटॉप, टीवी और अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का निर्माण दुनिया की भलाई के लिए हुआ था और इससे दुनिया को फायदा भी हुआ। लेकिन कहावत है कि हर चीज़ की अति बुरी होती हैं। जिस प्रकार इन स्मार्ट गैजेट्स ने लोगों का भला किया उसी प्रकार इन गैजेट्स ने बच्चों को एक्सपोज़र और जानकारी तो दी लेकिन साथ ही बच्चों का बचपन भी छीन लिया। जहाँ एक ज़माने में बच्चे घर से बाहर निकलने को लालियत रहते है वही आजकल के बच्चे इन गैजेट्स की छोटी सी दुनिया में खुश रहना चाहते हैं।

हाल ही में कुछ समय में देश में कोरोना वायरस महामारी फैली हुई है जिसके कारण देश में लॉक डाउन का पीरियड चल रहा हैं। पहले 21 दिन का लॉक डाउन घोषित हुआ था और उसके बाद इस लॉक डाउन की अवधि को बढाकर 40 दिन कर दिया गया। ऐसे समय में बच्चे से लेकर बड़े लोगों तक कोई भी घर से बाहर नहीं निकला सकता। ऐसे में बच्चे घर में रहने को मज़बूर हैं। उंन्हे सारा दिन घर में रहकर गुजारना होता हैं। उनके पास एक ही ऑप्शन होता हैं और वो है स्मार्ट गैजेट्स के साथ समय व्यतीत करना। घर में रहकर ज्यादातर बच्चे स्मार्ट फ़ोन,मोबाइल, टीवी, लैपटॉप और अन्य दूसरे गैजेट के साथ अपना ज्यादातर समय बिता रहे है और इसी के कारण वो स्मार्ट गैजेट्स के शिकार होते जा रहे हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एक शोध किया जिसमे यह ज्ञात हुआ कि जो बच्चे स्मार्ट गैजेट के साथ ज्यादा समय व्यतीत करते है उनमे फिजिकल एक्टिविटी की कमी होने के कारण मोटापा और डायबिटीज अधिक होती हैं।

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, बच्चों के सामान्य स्वस्थ जीवन व्यतीत करने के लिए माता-पिता का रोल बड़ा अहम होता है और उन्हें अपने बच्चों को फिजिकल एक्टिविटी के महत्व के बारे में बताना चाहिए।

 आइये जानते है स्मार्ट गैजेट्स के शिकार बच्चों को क्या समस्याएं होती हैं -

  • मूड स्विंग्स - हाल ही में स्मार्ट गैजेट्स और बच्चों के मूड को लेकर एक अध्ययन किया गे और उसमे यह पाया गया कि जो बच्चे व्यायाम करते हैं, वो शांत स्वभाव के होते हैं और जो बच्चे स्मार्ट गैजेट्स के साथ अपना समय व्यतीत करते है वो चिड़चिडे स्वभाव के होते है और उनके मूड में जल्दी ही बदलाव आता हैं।
  • स्वास्थ्य समस्याएं - जो बच्चे स्मार्ट गैजेट्स के साथ ज्यादा समय बिताते है उनमे स्वास्थ्य समस्याएं हो जाती है जैसे मोटापा, डायबिटीज, आँखों की समस्या, मानसिक डिसऑर्डर, दिमागी क्षमता का कम होना आदि।
  • बार-बार बीमार होना - जो बच्चे स्मार्ट गैजेट्स के साथ ज्यादा समय बिताते है उनमे शारीरिक गतिविधि का अभाव होता हैं जिसके कारण उनकी इम्युनिटी कम हो जाती हैं। कम इम्युनिटी वाले बच्चे ज्यादा बीमार पड़ते हैं।

आइये जानते है लॉकडाउन में बच्चों को स्मार्ट गैजेट्स का शिकार होने से बचाने के टिप्स

  • शारीरिक गतिविधि - शारीरक गतिविधि बच्चों को व्यस्त रखने का सबसे अच्छा तरीका होता हैं। शारीरिक गतिविधि से शरीर में उर्जा का स्तर बढ़ता है और बच्चों की इम्युनिटी स्ट्रांग होती हैं। इम्युनिटी स्ट्रांग होने से वो कम बीमार पड़ते है और उन्हें कम स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं। शारीरिक गतिविधि से वो मानसिक तौर पर भी स्ट्रांग बनते हैं। जब बच्चे व्यायाम करते है तो उनका शरीर बीटा-एंडोर्फिन हार्मोन का उत्तदान करता है जो उनके लिए जरूरी होता नहीं। इस हार्मोन से बच्चों का मूड अच्छा रहता है और उनका मन सभी कार्यों में लगता हैं।
  • भरपूर नींद लेने दें - भरपूर नींद से शरीर हमेशा चुस्त रहता हैं। कोशिश करें की बच्चे लॉक डाउन के समय में स्मार्ट गैजेट्स से दूरी बनाकर कम से कम 8 - 9 घण्टे की नींद लें। जो बच्चे नींद पूरी करते है और जिनमें नींद की कमी महसूस नहीं होती है वो शारीरिक रूप से चुस्त रहते हैं। ऐसे बच्चों में कोई भी स्वास्थ्य समस्या जैसे ब्लड शूगर, हार्ट या लंग्स की बीमारी नहीं होगी। वो मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहते हैं।
  • संतुलित भोजन खिलाएं - जो बच्चे ज्यादा जंक और प्रोसेस्ड फ़ूड खाते है उनकी इम्युनिटी कम होने के साथ-साथ उनमे ताकत भी कम होती हैं। वो जल्दी बीमार पड़ते है और हर समय आलस से भरे होते हैं। लॉक डाउन के समय में घर पर रहकर उन्हें उन्हें पौष्टिक और संतुलित खिलाने का प्रयास करें। संतुलित भोजन खाने से वो शारीरिक रूप से ऊर्जावान रहेंगे और उनकी ऊर्जा का सही इस्तेमाल होगा। 
  • टाइम टेबल बनाये - लॉक डाउन के समय में आपको अपने बच्चों का समय निर्धारित करना चाहिए चाहे वो खेलने का समय हो या स्मार्ट गैजेट्स का समय हो या किसी अन्य चीज़ का। अगर बच्चे टाइम टेबल के अनुसार समय व्यतीत करेंगे तो स्कूल खुलने के बाद और लॉक डाउन ओवर होने के बाद आपको किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।
  • जल्दी उठने और जल्दी सोने की आदत - आपको लॉक डाउन के समय में बच्चों को समय से उठाना चाहिए और समय से ही सुलाना चाहिए। समय से उठने से उनके पास अन्य गतिविधियों के लिए अतिरिक्त समय होगा और साथ ही जल्दी सोने से वो अपनी नींद भरपूर ले पाएंगे।
  • घर के काम में मदद लें - लॉक डाउन के समय में बच्चों को व्यस्त करने का सबसे अच्छा तरीका होता है उन्हें घर के कामों में व्यस्त करना। जब आप अपने बच्चों से घर के किसी काम में मदद लेते है तो उन्हें अच्छा लगता है और साथ ही उनका समय व्यतीत हो जाता हैं। एक तरफ जहाँ उन्हें घर की ज़िम्मेवारियों का अहसास करवाने और उन्हें एक ज़िम्मेवार नागरिक बनाने का काम हो जाता हैं तो दूसरी तरफ आपको भी घर के काम में मदद मिल जाती हैं।
  • बच्चों के साथ एक्सपेरिमेंट करें और नया सिखाएं - कहते है बच्चे एक कच्चे घड़े की तरह होते हैं, आप उन्हें जिस सांचे में ढाल देंगे वो उसी में ढल जायँगे। अगर आप उन्हें कुछ नए एक्सपेरिमेंट की मदद से कुछ नया सिखाएंगे तो वो जल्दो सीखेंगे और दूसरी और वो स्मार्ट गैजेट्स से भी दूर रहेंगे। उन्हें रोज़ाना कुछ अलग और नया करने को दें। ऐसा करने से उनकी मानसिक शक्ति बढ़ेगी और साथ ही वो कुछ नया सिख पाएंगे।
  • बच्चों के साथ समय व्यतीत करें - बच्चों के साथ समय व्यतीत करना उनके लिए सबसे जरूरी होता है। बच्चों के साथ समय व्यतीत करते हुए उनसे कुछ ऐसे मुद्दों पर बात करें जो जरूरी हैं जैसे सामाजिक मुद्दें, समाज में व्याप्त बुराइयों के बारें में, कोरोना वायरस के बारें में आदि। ऐसा करने से वो जागरूक होंगे। उन्हें इंटरनेट, सोशल मीडिया का सही उपयोग करना सिखाएं। बच्चों के साथ समय व्यतीत करने के साथ ही उनके साथ अपने अनुभव शेयर करेंव। उन्हें अपने और घर के अन्य लोगों के बारें में बताएं।


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