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नवंबर से शुरू हो रहा है लंग कैंसर अवेयरनेस मंथ, जानें इसकी कुछ अहम बातें 

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हर साल 1 नवंबर से 30 नवंबर तक लंग कैंसर अवेयरनेस मंथ के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान दुनियाभर के लोगों को फेफड़ों के कैंसर के बारे में जागरूक किया जाता है। लंग कैंसर या‍नि फेफड़ों का कैंसर, कैंसर से होने वाली मौतों का प्रमुख कारण है। 2018 में फेफड़ों के कैंसर से लगभग 21 लाख लोग प्रभावित हुए थे। ये दुनियाभर में लगातार अपने पैर पसार रहा है। 

किसी भी तरह के कैंसर का समय रहते पता लगा लिया जाए तो मरीज़ के जीने की संभावना थोड़ी बढ़ जाती है। सीटी के साथ फेफड़ों के कैंसर की स्क्रीनिंग करने से फेफड़ों के कैंसर की मृत्यु दर को कम किया जा सकता है। 

ऐसे लोगों को है लंग कैंसर का अधिक खतरा -

ख़ासी, गले में खराश, आवाज़ बैठना और थकान कुछ ऐसे लक्षण हैं जिनसे लोग अक्सर भ्रमित हो जाते हैं और इसे आम समस्या समझकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। यदि आपके आसपास धूम्रपान, वायु प्रदूषण, रे-डॉन गैस, एस्बेस्टोस या अन्य कैंसर पैदा करने वाले तत्व हैं या फिर आपके पास बीमारी का व्यक्तिगत या पारिवारिक इतिहास है, तो आपको फेफड़े के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। धूम्रपान फेफड़े के कैंसर का एक प्रमुख कारण है, फिर भी धूम्रपान करने वाले हर व्यक्ति को कैंसर नहीं होता है और न ही हर किसी को धुएँ के कारण फेफड़ों का कैंसर होता है।

फेफड़ों के कैंसर का उपचार -

फेफड़ों के कैंसर के उपचार में सर्जरी, रेडिएशन ट्रीटमेंट, कीमोथेरेपी या कई पारंपरिक रेडियोलॉजी प्रक्रिया शामिल हो सकती हैं। अपने डॉक्टर से आप फेफड़ों के कैंसर के जोखिमों, लक्षणों और उपचार के विकल्पों पर चर्चा कर सकते हैं।


फेफड़ों के कैंसर से जुड़े कुछ अहम फैक्ट्स - 

  • धूम्रपान फेफड़ों के कैंसर से होने वाली मौतों में लगभग 80% जुड़ा हुआ है।
  • जो लोग सिगरेट पीते हैं उनमें फेफड़े का कैंसर होने की संभावना 15 से 30 गुना अधिक होती है या जो लोग धूम्रपान नहीं करते हैं उनकी तुलना में फेफड़ों के कैंसर से मर जाते हैं।
  • किसी भी उम्र में धूम्रपान छोड़ने से फेफड़ों के कैंसर का खतरा बहुत कम हो जाता है।
  • रेडॉन फेफड़ों के कैंसर का दूसरा प्रमुख कारण है। यह एक रेडियोधर्मी गैस है जो चट्टानों, धूल और निर्माण सामग्री से आती है। गैस खुली हवा में कम सांद्रा और घरों और इमारतों के अंदर उच्च स्तर पर है।
  • फेफड़ों के कैंसर के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग होते हैं।
  • फेफड़ों के कैंसर वाले अधिकांश लोगों के लक्षण तब तक नहीं दिखते हैं जब तक कि कैंसर उन्नत चरणों में नहीं पहुंच जाता है।
  • कैंसर का जल्द पता लगने से सफल इलाज की संभावना बढ़ जाती है।
  • शारीरिक गति-विधि फेफड़ों के कैंसर के खतरे को 20% तक कम कर सकती है, क्योंकि यह फेफड़ों की कार्य क्षमता में सुधार करता है और कई बीमारियों से बचाता है।

क्या कहती है रिसर्च -

एक रिसर्च के मुताबिक, फेफड़ों का कैंसर पुरुषों में होने वाले कैंसर में दूसरे स्थान पर और महिलाओं में होने वाले कैंसर में छठे स्थान पर है। आपको जानकर हैरानी होगी सिर्फ भारत में ही लगभग 90 प्रतिशत लोगों में फेफड़े के कैंसर का मुख्य कारण सिगरेट, बीड़ी और हुक्का है जबकि अन्य 10 प्रतिशत फेफड़ों के कैंसर का कारण पर्यावरण में मौजूद कैंसरकारी तत्व और वायु प्रदूषण है। आपको बता दें, दुनियाभर में सिर्फ 19 फीसदी फेफड़ों के कैंसर का कारण पर्यावरण है। 


लंग कैंसर अवेयरनेस मंथ का उद्देश्य - 

  • फेफड़ों के कैंसर के बारे में जनता में जागरूकता बढ़ाना।
  • फेफड़ों के कैंसर पर वैज्ञानिक शोधों का समर्थन करना।
  • फेफड़ों के कैंसर के खतरे की आशंका वाले लोगों को शिक्षित करना।
  • धूम्रपान के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाना।

आधिकारिक तिथि -

विश्व स्तर पर लंग कैंसर अवेयरनेस मंथ 1st नवंबर से 30th नवंबर को मनाया जाता है। दो दशक पहले, फेफड़ों के कैंसर एलायंस ने संयुक्त राज्य अमेरिका में फेफड़े के कैंसर जागरूकता दिवस (LCAD) का शुभारंभ किया, जिसमें लगातार खांसी, थकान और भूख न लगना शामिल है। एक विश्वव्यापी पहल में, फेफड़े के कैंसर जागरूकता माह (LCAM) प्रत्येक नवंबर में होता है। लंग कैंसर एलायंस की स्थापना 1995 में फेफड़ों के कैंसर के रोगियों की ज़रूरतों को पूरा करने और परिणामों में सुधार करके, लंग कैंसर को खत्म करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुसंधान निधि को सुरक्षित करने के लिए की गई थी।

लंग कैंसर अवेयरनेस मंथ का लक्षित समूह -

  • फेफड़े के कैंसर के रोगी और उनके परिवार।
  • धूम्रपान करने वालों और सेकेंड हैंड धुएँ के संपर्क में रहने वाले लोग।
  • स्वास्थ्य पेशे-वरों, जिनमें डॉक्टर, नर्स, फार्मासिस्ट और स्वास्थ्य शिक्षक शामिल हैं।
  • स्वास्थ्य संघ और संगठन।
  • जनता।

 लंग कैंसर के सामान्य लक्षण- 

फेफड़ों के कैंसर के कई लक्षण है। लेकिन हम आपको कुछ ऐसे सामान्य लक्षणों को बता रहे हैं जिन्हें आप बिल्कुल भी नज़रअंदाज़ ना करें। जैसे- 

  • बहुत ज्यादा या लगातार ख़ासी आना, बार-बार ख़ासी होना, लंबे समय तक खांसी होना या फिर समय के मुताबिक खांसी में बार-बार परिवर्तन होना। खांसी में खून आना, खांसी के दौरान ब्राउन थूक आना। 
  • सांस लेने में मुश्किल होना, बहुत ज्यादा या बार-बार घबराहट होना, सांस लेते हुए घरघराहट जैसी आवाज़ आना। 
  • अचानक से वजन घटना या फिर भूख ना लगना। आपको बता दें, कैंसर होने पर भूख में बदलाव होने लगता है। 
  • बहुत ज्यादा थकान महसूस करना, बहुत कमजोर महसूस करना, थोड़ा सा काम करते ही थक जाना। 
  • बार-बार निमोनिया, बुखार और जुखाम होना, पीलिया होना, श्वास नली में बार-बार सूजन।
  • हड्डि‍यों या जोड़ों में दर्द की शिकायत होना। शरीर में, चेहरे पर गर्दन में या हाथ पर कहीं भी सूजन आना। गर्दन में गांठ महसूस होना। 
  • बार-बार सिरदर्द की शिकायत, चक्कर आना या फिर बेहोशी छाना।

ये सभी लंग कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। ऐसी कोई भी समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से चेक-अप करवाना चाहिए।  

Bharti

Content Writer

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