मेरी कहानी
मेरी ज़ुबानी
जब से जन्म लिया मैंने
रिश्तों को समझने के
दायरे ने मुझे जकड लिया
कुछ समझ की सीख थी
कुछ मेरे दिल की आवाज़
शायद खुदा ने बनाया ही इसलिए है मुझे
क्योंकि रिश्तों को संजो के रखना आता है मुझे
सफर आगे बढ़ता गया
मेरे कहानी में एक नया पन्ना जुड़ता गया
हर मोड़ पर मेरे हिस्से की ज़िम्मेदारी अलग थी
पीछे कुछ भी छोड़ आने की इज़ाज़त नहीं थी मुझे
इसलिए तो मेरी कहानी की किताब में पन्ने जुड़ते गए
फिर आया वह लम्हा
जब मैं जननी बनी
ब्रह्मा ने मुझे
अपनी ताकत का एहसास दिलाया
मैं सिर्फ माँ नहीं
मैं तो वह जरिया हूँ
जिसे भगवान ने
अपनी परछाई बना के भेजा है
वह हर जगह
हर बार नहीं हो सकता
तो मेरे ज़िम्मे कर दी उसने
हर दर्द भरी आवाज़ को सुनने की फैरिस्त
मैंने हमेशा कोशिश की इस फ़र्ज़ को निभाने की
कभी जीत गयी
कभी हार गयी
दर्द तब हुआ
जब ये एहसास हुआ
की मेरे इस जज़्बे को
दुनिया ने मेरी कमज़ोरी समझ कर
मुझे रोंदना शुरू कर दिया
कभी ताकत से
कभी शब्दों से
मैं कमज़ोर कैसे हो सकती हूँ
मैं तो जननी हूँ
मैं कई रूपों में
कई नामों में
पूजनीय हूँ
मैँ कृष्ण की राधा हूँ
मेरे बिना कृष्ण अधूरे हैं
मैँ राम की सिया हूँ
मैँ नहीं होती
तो रावण का अंत कैसे होता
मैँ नहीं होती
तो ना अर्जुन वीरता का प्रतीक बनता
न कर्ण सूर्य पुत्र कहलाता
सदियों से चुप हूँ
पर अब नहीं
किसी भी तबके में
जन्म हो मेरा
मैँ अपनी ताकत से वाबस्ता
अपने उस दायरे को ज़रूर
करायूँगी
जो दायरा यह समझ बैठा है
की मैँ उसकी बंदनी हूँ
मैँ बंदनी नहीं
मैँ बंदगी हूँ
मेरे बिना सब अधूरा नहीं
मेरे बिना सब शुन्य है
मैँ ही हर रिश्ते को
हर रिश्ते की एहसास को
पूरा करती हूँ
मेरी ताकत को
ऐ ज़माने
मत ललकार
मैँ नहीं
तो कुछ नहीं