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खुद से एक मुलाकात ज़रूरी है

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जब हमारी ऑंखें थक जाती हैं.
तब हमारी दुनिया भी थक जाती है.
जान हमारा नजरिया.
क्रोध या भावुकता की पट्टी बांध लेता है.
तब इस जहाँ का कोई भी हिस्सा हमें नहीं ढूंढ सकता.
और यह संकेत है.
रौशनी को छोड़ कर.
शोरगुल को छोड़ कर.
बंधनो की परवाह करे बिना.
अपने अंधेरों में खो जाने का .
कुछ समय के लिये .
हर एहसास को.
हर सोच को.
हर दस्तक को.
अनसुना कर.
अपने अंधेरों से वाबस्ता होने का.
और तब.
हमारे अंधेरों की रौशनी.
हमें अपने आसमान से रूबरू कराएगी,
एक ऐसा आसमान ,
जो हमारी सोच,
और,
हमारी नज़रों के दायरे से बहुत बड़ा है.
और फिर हम खुद से मिलेंगे.

कभी कभी,
यह अँधेरे,
हमको ज़िन्दगी की सचाई से मिला देते हैं.
और तब समझ आता है,
की इस ज़िन्दगी में,
जो कुछ भी,
हमें खुशी नहीं देता,
हमें परिपूर्णता का एहसास नहीं देता,
वह चाहे कोई नजरिया हो,
या फिर कोई रिश्ता हो ,
या फिर जज़्बातों का जाल हो,
जो कुछ भी हो,
हमें उसे छोड़ आगे बढ़ना ही होगा.

इसलिए तो,
कभी कभी,
इन अंधेरों में सीमेंट कर,
खुद से एक मुलाकात ज़रूरी है.

अंधेरों में रौशनी से ज़्यादा ताकत होती है,
वह हमें देखने पे मजबूर कर देते हैं
और हमें अपनी खोयी हुई पहचान मिल जाती है.

इसे कहते हैं
ज़िन्दगी से वाबस्ता होना,
और अपने,
सिर्फ अपने,
अक्स में एक बार फिर,
ढल जाना.

Bharti

Content Writer

Bharti is a skilled content writer with over 5 years of professional experience creating engaging and high-quality content for diverse audiences. She specializes in crafting informative articles, blog posts, and web content that resonates with readers and drives results.