एक तरफ जहाँ हमारा राष्ट्र कोविड -19 वायरस महामारी से लड़ रहा है वही हर भारतवासी और सभी राजनेताओं का चाहे वो उसी पार्टी का हो या विपक्षी पार्टी का, यह कर्तव्य बनता है कि सरकार के हर नीतिगत मामले जिन्हे वो कठिनाइयों का सामना करने के लिए लड़ रही हैं, उसमे सरकार के साथ खड़े होना चाहिए और रचनात्मक सुझाव देना चाहिए। लेकिन हम अभी के हालात की बात करें तो उपस्थित विपक्षी दल विशेष रूप से कांग्रेस नकारात्मक राजनीति पर ध्यान देने में लगी हैं। एक हालिया उदाहरण के लिए देश में कोरोना खतरे से निपटने के लिए अपने देशवासियों से दान प्राप्त करने के लिए एक फंड का निर्माण किया गया जिसको पीएम केयरफंड (PM CARE FUND ) कहा गया। कांग्रेस पार्टी ने इसी फंड को निशाना बना लिया।
पीएम केयरफंड (PM CARE FUND )
कोरोना वायरस (Corona Virus) से निपटने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) और सरकार ने पिछले महीने पीएम केयर्स फंड का गठन किया था। इस फंड का मुख्य उद्देश्य विश्व और देश में फैली महामारी कोरोना वायरस यानि कोविड - 19 से निपटने के लिए और इस गंभीर आपदा के समय देशवासियों का हित करना है। इस फंड को आवश्यकता के अनुसार देश में फैली महामारी के समय सहायता पहुँचाना हैं। लेकिन अब यह फंड विवादों में आ गया है। हाल ही में कॉरपोरेट मंत्रालय ने कहा है कि पीएम केयर फंड में जमा पैसा सीएसआर -कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR - corporate social responsibility) माना जाएगा जबकि मुख्यमंत्री राहत कोष में ऐसा नहीं होता है। इसी वजह से यह मामला कोर्ट पहुंच गया है।
मुख्यमंत्री राहत और राज्य राहत कोष - क्या सीएसआर (CSR) माना जाएगा
मिनिस्ट्री ऑफ़ कॉर्पोरेट अफेयर्स - एमसीए (The Ministry of Corporate Affairs - MCA) ने हाल ही में यह बात स्पष्ट कि कोविड -19 के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष (Chief Minister’s Relief Fund) और राज्य राहत कोष (State Relief Fund) में योगदान किये हुए धन के लिए यह दावा नहीं किया जा सकता है यह खर्च कंपनियों द्वारा कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी - सीएसआर के लिए किया गया है। 28 मार्च को पीएम केयर्स फंड में योगदान की गयी राशि को कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के अंतर्गत माना जाएगा। मंत्रालय ने इस बात के लिए एक अन्य जानकारी भी दी हैं - अस्थायी या आम मज़दूर या दैनिक वेतन मज़दूरों को उनकी वेज से ज्यादा की रकम जो कोरोना वायरस माहमारी के समय में संकट से उभरने के लिए दी गयी है उसे भी सीएसआर के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। हालाँकि मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि यह एक "वन टाइम एक्सेप्शन" है जिसको तभी माना जाएगा जब इसका कंपनियों के बोर्ड द्वारा स्पष्ट रूप से पूर्ण बयोरा दिया जायेगा और इसका ऑडिटर द्वारा विधिवत प्रमाण दिया जायेगा। हालांकि, यह बात भी स्पष्ट की गयी है कि कर्मचारियों को सैलरी, श्रमिकों,दैनिक श्रमिकों को दैनिक वेतन का भुगतान सीएसआर व्यय के रूप में मान्य नहीं होगा क्योंकि यह कंपनी के नैतिक या संविदात्मक दायित्वों का हिस्सा होगा।
सीएसआर - कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR - Corporate Social Responsibility)
भारतीय कानून के हिसाब से कॉरपोरेटों को अपने नेट प्रॉफ़िट्स का 2 प्रतिशत खर्च उन गतिविधियों के लिए करना अनिवार्य होता है जो कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR - corporate social responsibility) के अंतर्गत आती हैं। इसमें शिक्षा और कौशल विकास को बढ़ावा देने, गरीबी और भूख को मिटाने, बच्चों और महिला मृत्यु दर में सुधार लाने या आपदा राहत आदि के लिए खर्च किया गया धन शामिल हैं। अभी कम समय में कानून के हिसाब से - 5 करोड़ रुपये के नेट प्रॉफ़िट्स या 500 करोड़ रुपये की नेट वर्थ या 1,000 करोड़ रुपये के टर्नओवर वाली कंपनियों को पिछले तीन वर्षों के अपने औसत नेट प्रॉफ़िट्स का 2 प्रतिशत सीएसआर के रूप में खर्च करना होता हैं। कोविड -19 महामारी के प्रकोप के साथ, सरकार ने सीएसआर खर्च का गठन करने वाले नियमों में ढील दे दी हैं। सीएसआर -कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के अंदर आप प्रधान मंत्री फंड में योगदान के साथ-साथ कुछ अन्य व्यय जैसे हेल्थ केयर, कोविड -19 संबंधित खर्चों के साथ-साथ प्रिवेंटिव हेल्थ केयर, सेनिटाइज़शन और आपदा प्रबंधन के लिए किया शामिल हैं।
पीएम केयर फण्ड (PM CARES fund) और प्रधानमंत्री नेशनल रिलीफ फंड - पीएमएनआरएफ (Prime Minister’s National Relief Fund) के बीच अंतर -
- सरकार ने पिछले महीने पीएम केयर्स फंड का गठन किया था और कॉरपोर्रेट कंपनियों को पीएम के राष्ट्रीय राहत कोष में योगदान पर 100 प्रतिशत कर कटौती का दावा करने के लिए कंपनियों को छूट दी थी। पीएम केयर फंड में लगभग 6,500 करोड़ रुपये आ चुके थे इसका गठन करने के एक हफ्ते के अंदर।
- पीएम केयर फंड में राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों से भी दान स्वीकार किया जा सकता है लेकिन नेशनल रिलीफ फंड (National Relief Fund)में ऐसी संस्थाओं से कोई भी योगदान लेने की अनुमति नहीं होती है।
- इसी के साथ कोरोना वायरस माहमारी के समय में राज्य आपदा प्रबंधन (state disaster management authorities) अधिकारीयों को किया गया योगदान सीएसआर -कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के व्यय के रूप में योग्य होगा।
- सरकार के अनुसार, प्रधानमंत्री नेशनल रिलीफ फंड - पीएमएनआरएफ से किसी भी व्यय करने के लिए लेजिस्लेटिव अनुमोदन की आवश्यकता होती है जबकि पीएम केयर फण्ड को आवश्यकता के अनुसार उपयोग किया जा सकता है हालाँकि ऑडिट होना जरूरी हैं।
- प्रधानमंत्री नेशनल रिलीफ फंड सामान्य राष्ट्रीय आपदाओं के लिए है जो किसी भी समय हो सकती हैं जैसे भूकंप, बाढ़, चक्रवात, आदि जबकि पीएम केयर फण्ड विशेष रूप से कोविंड -19 के लिए है जो एक महामारी है और न केवल भारत के लिए एक गंभीर आपदा है, बल्कि यह दुनिया के लिए दोनों वर्ल्ड वॉर की तुलना में अधिक विनाशकारी है।
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