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गैस चैंबर में रहने को मजबूर हुए दिल्लीवासी, फिर खराब हुई दिल्ली की हवा: सुप्रीम कोर्ट 

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है। बीते रविवार और सोमवार को दिल्ली की हवा बहुत ही खराब रही। दिल्लीवासी गैस चैंबर में सांस लेने पर मजबूर हो रहे हैं। पिछले कुछ सालों के आंकडों के मुकाबले इस साल दिल्ली का प्रदूषण रिकॉर्ड तोड़ रहा है। चलिए जानते हैं इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का क्या कहना है और किस जगह पर कितना है पॉल्यूशन। 

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को लगाई फटकार-

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्लीएनसीआर में बढ़ते हुए प्रदूषण के लिए राज्य मशीनरी की विफलता पर गंभीर नाराजगी व्यक्त की है। कोर्ट ने कहा है कि गैस चैंबर में लोगों को मरने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता है। 25 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पराली जलाने को रोकने के लिए राज्य विफल हुआ है जिसके चलते दिल्ली-एनसीआर के नागरिक वायु प्रदूषण के कारण "घुटन" महसूस कर रहे हैं।

दिल्ली में प्रदूषण के स्तर का उल्लेख करते हुए, शीर्ष अदालत ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में रहना "नरक से भी बदतर" हो गया है क्योंकि साल-दर-साल हवा की गुणवत्ता बिगड़ रही है और अब वायु प्रदूषण के साथ ही जल प्रदूषण भी बढ़ गया है।

अदालत ने कहा कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में रोके के बावजूद पराली जलाने का काम अभी भी चल रहा है। इस पर सवाल उठाने के साथ ही कोर्ट ने पूछा गया है कि इन तीनों राज्यों की सरकारी मशीनरी ने उन लोगों को मुआवजा देने के लिए अब तक क्यों नहीं कहा गया है जो प्रदूषण के कारण कैंसर और अस्थमा जैसी बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं। 

ये सभी बातें न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और दीपक गुप्ता की पीठ ने पंजाब के मुख्य सचिव को बताया उस समय कहीं जब वे अदालत द्वारा जारी किए गए समन के अनुपालन में अदालत में पेश हुए थे।

खंडपीठ ने आज भी कहा कि दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण में आठ प्रतिशत की बढ़ोतरी हो रही है। पीठ ने पंजाब के सचिव को ये भी पूछा कि  हमें आपके राज्य पर जुर्माना क्यों नहीं लगाना चाहिए? आपको बता दें, ये जुर्माना पराली जलाने के कारण अधिकारियों पर ऊपर से नीचे तक वसूला जा सकता है, क्योंकि अधिकारी किसानों द्वारा पराली को जलाने से रोकने में नाकामयाब हो रहे हैं। 

पीठ ने लोगों की सेहत के प्रति चिंता जताते हुए कहा है कि क्या इस प्रदूषण को सहन किया जाना चाहिए? क्या यह आंतरिक युद्ध से भी बुरा नहीं है? लोग इस गैस चैंबर में क्यों हैंयदि यह इस तरह से चलता रहा तो लोगों को कैंसर जैसी बीमारियों से पीड़ित होने के बजाय यहां से जाना बेहतर होगा।

पंजाब के सीएस ने अदालत को स्टब बर्निंग यानि पराली जलाने को रोकने के लिए उनके द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बारे में बताया, तो बेंच ने कहा कि यह राज्य की "विफलता" और "निष्क्रियता" है और इसे रोकने के लिए "कोई इच्छा शक्ति" नहीं है।

पीठ ने कहा है कि देश की राजधानी में, अगर आप इस तरह की स्थिति पैदा करेंगे, तो लोग कैसे बचेंगे। देश कैसे वैश्विक शक्ति बन जाएगा, अगर आप इन चीजों की जांच करने में सक्षम नहीं हैं।

पंजाब के सीएस ने कहा कि राज्य ने लगभग 29,300 किसानों को 19 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया है, जिन्होंने अपने खेतों में मल नहीं जलाया है और वे उपग्रहों की मदद से फसल अवशेष जलाने की स्थिति की निगरानी कर रहे हैं।

कोर्ट ने राज्यी सरकारों को फटकार लगाते हुए कहा कि आपने जो भी कदम उठाएं वो शीर्ष अदालत की फटकार के बाद किए हैं। पीठ ने राज्यों को फटकार लगाते हुए कहा कि दिल्ली-एनसीआर के लोग कैंसर, फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित हो रहे हैं। दिल्ली में लाखों लोगों का जीवनकाल छोटा हो गया है। पीठ ने हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों पर भी जमकर तंज कसा और उनसे पूछा कि शीर्ष अदालत के आदेश पर रोक लगाने के तुरंत बाद ही उनके राज्यों में स्टबल बर्निंग क्यों बढ़ गई है।


बीते दिनों कैसी थी दिल्ली की हवा –

सोमवार को दिल्ली की वायु गुणवत्ता बहुत बदतर थी। इस समय दिल्ली की हवा सबसे खराब श्रेणी में है। मौसम विभाग के मुताबिक, रविवार को वायु गुणवत्ता 252 "खराब" श्रेणी के साथ रही। यही हाल दिल्ली में सोमवार को भी रहा। सोमवार के दिन दिल्ली-गाजियाबाद में 255, ग्रेटर नोएडा और नोएडा में 234 और 236, गुड़गांव में 232 और आसपास के क्षेत्र "खराब" वायु गुणवत्ता की श्रेणी में रहे।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, पिछले 24 घंटे में वायु गुणवत्ता तय मानकों से दोगुनी खराब रही। जहां मानक पीएम 2।5 और पीएम 10 रीडिंग होती है तो दिल्ली - एनसीआर में सोमवार को रात 8 बजे तक पीएम 2।5 के बजाय 110 था, जबकि औसतन पीएम 10 के बजाय 201।2 था।

क्या कहते हैं पहले के आंकड़े-

पहले के आंकड़ों को देखते हुए मौसम विभाग ने वायु की गुणवत्ता खराब होने का दोष किसी हद तक मौसम में होने वाले बदलावों को भी दिया है। मौसम विभाग का कहना है कि 2016 में 28 अक्टूबर से 6 नवंबर के बीच वायु की गुणवत्ता बहुत खराब हुई थी। ठीक वैसे ही 2017 में भी 7 नवंबर से 14 नवंबर के बीच वायु की गुणवत्ता खराब श्रेणी में रही थी। 2018 में वायु गुणवत्ता इतनी खराब नहीं थी क्योंकि एक्टिव वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के कारण दिल्ली की हवा बहुत खराब नहीं हुई।   

लोगों को हो रही हैं ये बीमारियां- 

आपको बता दें, दिल्ली के गैस चैंबर बनने से लोगों को सांस संबंधी बीमारियां, किडनी और गुर्दें की समस्या, हार्ट डिजीज़ हो रही हैं। इसके अलावा लोगों को कैंसर की समस्याएं भी देखने को मिल रही हैं। कुछ मामलों में लोगों को निमोनिया तक हो रहा है। सभी अस्पतालों में प्रदूषण के कारण होने वाली समस्याओं से परेशान लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। लोग घरों में भी मास्क लगाकर बैठने पर मजबूर हैं। इन्हीं सब परेशानियों को ध्यान में रखकर ही अदालत ने राज्य सरकारों को फटकार लगाई है।