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विष्णु जी और सती जी की पौराणिक कथा

आखिर क्यों किए थे विष्णु जी ने सती के 51 टुकड़े-

पौराणिक कथाओं के अनुसार के अनुसार माता सती के 51 शक्ति पीठ की स्थापना स्पष्ट रूप से ग्रन्थों, किताबों में समाहित की गई है। पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु ने माता सती के शरीर के 51 टुकड़े कर उनकों अलग-अलग जगहें फेंक दिया और वहीं पर उनकों स्थापित कर दिया था।

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मां जगदम्बा ने राजा दक्ष के पुत्री सती रूप में जन्म लिया और अपने पिता के खिलाफ जाकर भगवान शिव से विवाह रचाया। इस बात से रूष्ट होकर राजा दक्ष ने अभिमान वश होकर हमेशा अपने जमाई शिव जी का निरादर ही किया। साथ ही एक बार मुनियों द्वारा यज्ञ किया गया वहां पर सभी देवतागण मौजूद थे, तो वहां राजा दक्ष के आने पर सभी लोग खड़े हो गए लेकिन शिव जी अपने ध्यान योग में बैठे रहें। शिव जी राजा दक्ष के दामाद थे, तो इस दौरान राजा दक्ष ने स्वंय अपमानित महसूस किया।

तो वहीं एक बार राजा प्रजापति दक्ष ने एक बहुत बड़ा यज्ञ ‘ब्रिहासनी’ नामक यज्ञ रखा । इस यज्ञ में बह्मा, विष्णु सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया लेकिन अपनी पुत्री सती और जमाई भगवान शिव को आमंत्रण नहीं दिया। जब माता सती को यह पता चला कि उनके पिता के घर पर बड़े यज्ञ का आयोजन किया गया औऱ उनकी सभी बहनें, रिश्तेदार और देवी-देवताएं आए हुए थे, लेकिन उन्हें नही बुलाया गया तो इस बात का बेहद ही दुख हुआ। और माता सती अपने पिता राजा दक्ष के घर जाने के लिए लालायित हो उठी।

उन्होंने भगवान शिव से कहा कि उन्हें अपने पिता के घर जाना है और जिद करने लगी। भगवान शिव माता सती को कहने लगे कि बिना निमंत्रण के अपने पिता के घर भी नहीं जाना चाहिए। लेकिन माता सती अपने पिता प्रेम के कारण भगवान शिव से जाने के लिए जिद पर अड़ गई। भगवान शिव के लाख मना करने के बावजूद भी माता सती अपने पिता राजा प्रजापति दक्ष के घर यज्ञ में चली गई।

राजा प्रजापति दक्ष के यज्ञ में जाकर माता सती का पूरी सभा के सामने राजा दक्ष ने अपमान किया साथ ही वहां पर शिवजी का कोई आसन नहीं दिया। साथ ही शिव जी के विषय में बेहद ही अपमानित शब्दों का उपयोग किया। सभी देवी-देवताओं और ऋषियों के सामने माता सती अपने पति के बारें में अपशब्द सुनकर बेहद ही क्रोधित हो उठी। और क्रोधावस्था में उसी यज्ञ-अग्नि कुंड में कूदकर अपने प्राणों की आहुति दे दी।

भगवान शिव जी को जब माता सती द्वारा अग्नि में प्राणाहुति देने के बारें पता चला तो उनका क्रोधावश तीसरा नेत्र खुल गया। भगवान शिव जी का तीसरा नेत्र खुल जाने से सर्वत्र प्रलय आने लगी। चारों तरफ हाहाकार मचने लगा।

भगवान शिव ने क्रोधित होकर राजा प्रजापति दक्ष का वीरभद्र से सर कटवा दिया और यज्ञ की अग्नि से माता सती का जलता हुआ शरीर लेकर माता सती के वियोग में दर-दर भटकने लगे।  पूरी पृथ्वी और तीनों लोको पर माता सती का शव लेकर शिवजी विचरण करते हुए तांडव करने लगे। इससे सभी देवता गण घबरा गए और सभी देव गण भगवान शिव के क्रोध से संसार को बचाने के लिए भगवान विष्णु के पास गए और संसार को बचाने के लिए प्रार्थना की। तब भगवान विष्णु ने इस संसार और तीनो लोकों को भगवान शिव के क्रोधाग्नि से बचाने के लिए माता सती के शरीर के प्रत्येक अंगों को अपने च्रक से खंड- खंड कर 51 जगहों पर गिरा दिया। तंत्र चूड़ामणी के अनुसार जहां- जहां माता सती के वस्त्र आभूषण और अंग गिराए गये वहां- वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आया। इस प्रकार से 51 स्थानों पर शक्तिपीठ का निर्माण हुआ। और इन 51 शक्ति पीठ की इस संसार में आलौकिक शक्ति व्याप्त है।

जो भगवान विष्णु ने अपने चक्र से माता सती के शरीर के 51 शक्तिपीठ स्थापति किए वे इस प्रकार से है-

  1. किरीट शक्तिपीठ
  2. कात्यायनी शक्तिपीठ
  3. करवीर शक्तिपीठ
  4. श्री पर्वत शक्तिपीठ
  5. विशालाक्षी शक्तिपीठ
  6. गोदावरी तट शक्तिपीठ
  7. शुचीन्द्रम शक्तिपीठ
  8. पंच सागर शक्तिपीठ
  9. ज्वालामुखी शक्तिपीठ
  10. भैरव पर्वत शक्तिपीठ
  11. अट्टहास शक्तिपीठ
  12. जनस्थान शक्तिपीठ
  13. कश्मीर शक्तिपीठ या अमरनाथ शक्तिपीठ
  14. नन्दीपुर शक्तिपीठ
  15. श्री शैल शक्तिपीठ
  16. नलहटी शक्तिपीठ
  17. मिथिला शक्तिपीठ
  18. रत्नावली शक्तिपीठ
  19. अम्बाजी शक्तिपीठ
  20. जालंध्र शक्तिपीठ
  21. रामागरि शक्तिपीठ
  22. वैधनाथ शक्तिपीठ
  23. वक्त्रोश्वर शक्तिपीठ
  24. कण्यकाश्रम कन्याकुमारी शक्तिपीठ
  25. बहुला शक्तिपीठ
  26. उज्जयिनी शक्तिपीठ
  27. मणिवेदिका शक्तिपीठ
  28. प्रयाग शक्तिपीठ
  29. विरजाक्षेत्रा, उत्कल शक्तिपीठ
  30. कांची शक्तिपीठ
  31. कालमाध्व शक्तिपीठ
  32. शोण शक्तिपीठ
  33. कामाख्या शक्तिपीठ
  34. जयन्ती शक्तिपीठ
  35. मगध शक्तिपीठ
  36. त्रिस्तोता शक्तिपीठ
  37. त्रिपुर सुन्दरी शक्ति त्रिपुरी पीठ
  38. विभाष शक्तिपीठ
  39. देवीकूप पीठ कुरू शक्तिपीठ
  40. युगाधा शक्तिपीठ, क्षीरग्राम शक्तिपीठ
  41. विराट का अम्बिका शक्तिपीठ
  42. कालीघाट शक्तिपीठ
  43. मानस शक्तिपीठ
  44. लंका शक्तिपीठ
  45. गण्डकी शक्तिपीठ
  46. गुह्येश्वरी शक्तिपीठ
  47. हिंगलाज शक्तिपीठ
  48. सुगंध शक्तिपीठ
  49. करतोयाघाट शक्तिपीठ
  50. चट्टल शक्तिपीठ
  51. यशोर शक्तिपीठ

माता सती के 51 शक्तिपीठ की इस संसार में बहुत पूजा की जाती है और ऐसी मान्यता है कि मां के इन 51 शक्तिपीठों का दर्शन करने से इंसान के लिए मोक्ष के दरवाजे खुल जाते है।

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