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जयंती विशेषः सरदार वल्लभ भाई पटेल के बारे में जानें कुछ अहम बातें

हर साल सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती 31 अक्टूबर को मनाई जाती है। सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को नाडियाड में हुआ था। वो सरदार वल्लभ भाई पटेल ही थे जिन्होंने 565 रियायतों को जोड़कर भारत राष्ट्र का निर्माण किया था। इसी वजह से हर साल सरदार वल्‍लभ भाई पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। आपको बता दें, 2014 से राष्ट्रीय एकता दिवस की शुरूआत हुई। आज हम सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के मौके पर उनसे जुड़ी कुछ अहम बातें आपको बताने जा रहे हैं।


सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अपनी बुद्धिमता, दूरदर्शिता और डिप्लोमेसी के चलते बहुत सी रियायतों को लुप्त करते हुए एक राष्ट्र का निर्माण किया। दरअसल, ब्रिटिश राज में भारत का जो नक्शा बनाया गया उसमें से 40 फीसदी देसी रियासतें थीं जिन्हें आज़ादी के बाद पाकिस्तान या भारत का हिस्सा बनने या स्वतंत्र रहने का विकल्प दिया गया था। ऐसे में वल्लभ भाई पटेल ने चतुराई से इन रियासतों को भारत का हिस्सा बना लिया।

सरदार वल्लभ भाई पटेल आजादी के बाद पहले उप-प्रधानमंत्री और गृह मंत्री बने थे।

सरदार पटेल ने करमसद और पेट-लाद में अपनी आरंभिक शिक्षा शुरू की। आपको जानकर हैरानी होगी पटेल जी ने अधिकतर शिक्षा और ज्ञान खुद ही पढ़कर अर्जित किया।

वल्लभ भाई की 17 साल की उम्र में झावेरबा नाम की महिला से शादी हुई थी। झावेरबा गना गांव की रहने वाली थीं। 

सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बतौर वकील भी कानून की प्रैक्टिस की थी। वकालत में महारत हासिल करते हुए सरदार वल्लभ भाई पटेल आपराधिक मामलों के मशहूर वकील बन गए थे। 

गांधी जी ने खुद खेड़ा सत्याग्रह का नेतृत्व करने के लिए पटेल जी का चुनाव किया था। गांधी जी ने कहा था कि कई लोग मेरे पीछे आने के लिए तैयार थे, लेकिन मैंने वल्लभ भाई का चुनाव किया, क्योंकि वो इस काबिल हैं। 

1929, गुजरात में हुए बारडोली सत्याग्रह का नेतृत्व भी वल्लभ भाई पटेल जी ने ही किया था आपको बता दें, ये किसानों से जुड़ा बेहद अहम आंदोलन था। ये आंदोलन प्रांतीय सरकार द्वारा किसानों से भारी लगान वसूल करने के विरोध में था। दरअसल, प्रांतीय सरकार ने लगान में 30 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर दी थी जिससे किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। ऐसे में वल्लभ भाई पटेल ने प्रांतीय सरकार की इस मनमानी और बेवजह लगान वसूलने का पुरजोर विरोध किया। हालांकि सरकार भी इस आंदोलन के खिलाफ डटकर लड़ी और आंदोलन को कुचलने का भरसक प्रयास किया लेकिन अंत में उन्हें वल्लभ भाई पटेल के विरोध के आगे झुकना पड़ा और किसानों की मांगें मानते हुए 30 प्रतिशत लगान को 6 प्रतिशत कर दिया। बारडोली सत्याग्रह की सफलता के बाद ही वल्लभ भाई पटेल को सरदार की उपाधि मिली। वहां की महिलाओं ने प्रसन्न होकर उन्हें सरकार कहकर बुलाया। तभी से इन्हें सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम से जाना जाता है।

1931 में सरदार वल्लभ भाई पटेल को उस समय कांग्रेस के कराची अधिवेशन का अध्यक्ष चुना गया जब भगत सिंह, सुखदेव और राज-गुरु की फाँसी से पूरे देशभर में गुस्सा था। ऐसे में पटेल जी ने लोगों की भावनाओं को समझते और दर्शाते हुए ज़ोरदार भाषण दिया जिसने ब्रिटीश सरकार को झिंझोड़ दिया। 

वो सरदार वल्लाभ भाई पटेल ही थे जिन्होंने चुपचाप और सटीक कदम उठाते हुए धीरे-धीरे सभी राज-सी सियासतों और राज्यों को भारत में लुप्त करने के लिए तैयार किया था। हालांकि उनके इस कदम से हैदराबाद के निजाम उस्मान अली खान आसिफ खुश नहीं थे और उन्होंने स्वतंत्र राज्य रखने का फैसला किया। निजाम का कहना था कि वे भारत और पाकिस्तान किसी का भी हिस्सा नहीं बनेंगे। ऐसे में बिना देर किए सरदार पटेल ने निजाम को हैदराबाद से बाहर खदेड़ने के लिए आंदोलन चलाया। इस आंदोलन को ऑपरेशन पोलो को नाम दिया गया जो कि 1948 में चला था। ये आंदोलन बेहद गुप्त तरीके से किया गया। इस ऑपरेशन के तहत निजाम उस्मान अली खान आसिफ़ को सत्ता से हटाते हुए हैदराबाद से बाहर खदेड़ दिया गया। इसके बाद हैदराबाद भारत के प्रमुख हिस्सों में से एक बन गया।

सरदार वल्ल‍भ भाई पटेल जी का निधन 15 दिसंबर, 1950 में मुंबई, महाराष्ट्र राज्य में हुआ था। वल्लभ भाई पटेल को 1991 में उनके निधन के बाद भारत रत्न' से भी सम्मानित किया गया।

सरदार वल्लाभ भाई पटेल के निधन पर पंडित नेहरू ने कहा था कि इनका जीवन किसी महान गाथा की तरह है जिससे सभी परिचित हैं। इनके जीवन को इतिहास में कई पन्नों में दर्ज किया जाएगा। ये ना सिर्फ राष्‍ट्र निर्माता हैं बल्कि राष्ट्रीय एकता की पहचान हैं। इन्हें नए भारत का एकीकरण करने वाले व्यक्ति के रूप में जाना जाएगा। ये आज़ादी के लड़ाई में महानायक, महान सेना नायक के रूप में भी याद किए जाएंगे। ये ऐसे व्यक्ति हैं जो नेक इंसान, आशावादी और संकट के समय में ना घबराने वाले हैं। 

बताते चलें, लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती को यादगार बनाने के लिए उनकी 144वीं जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के नाम से वल्लभ भाई पटेल का एक स्टैच्यू बनाया। इसे दुनिया का आठवां अजूबा भी बोला गया और टॉलेस्टच स्टैच्यू की कैटेगिरी में भी रखा गया। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी इस स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का नाम इसकी ऊंचाई के कारण दर्ज हुआ। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी 2013 में बनना आरंभ हुआ था और 2018 में इसका पर्दापर्ण हुआ।