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अटल बिहारी बाजपेयी : एक ऐसे नेता जो विपक्षियों के भी थे प्रिय

अटल  बिहारी वाजपेयी को शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जानता ना हो , अटल जी भारत के पूर्व प्रधानमंत्री रह चुके थे | आज 16 अगस्त 2018 को उन्होंने एम्स में अपनी अंतिम साँसे ली | अटल जी इस समय एक अकेले ऐसे नेता थे जो पहले प्रधानमंत्री से लेकर आज तक के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के साथी रहे थे | अटल जी ने अपने जीवन की शुरुआत पत्रकारिता के क्षेत्र से की थी | उन्होंने कई प्रतिकाओ का भी सम्पादन किया | राजनीती में उनके जैसा वक्ता मिलना मुश्किल है | वे जितने अच्छे वक्ता थे उतने ही अच्छे कवि भी थे | उनकी कविताये 'मेरी इक्यावन कविताये नामक संग्रह में संग्रहित है |

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Atal Bihari Vajpai

अटल जी का जन्म 25 दिसम्बर 1924 को मध्य्प्रदेश के ग्वालियर में   हुआ था | उनके पिता श्री पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेयी  उत्तर प्रदेश में आगरा जनपद के स्थान बटेश्वर के मूल निवासी थे | वे अटल जी के जन्म के समय ग्वालियर रियासत में अध्यापक के रूप में कार्यरत थे | अटल जी ने  भारत छोडो आंदोलन में भी हिस्सा लिया था | भारत कई आजादी से लेकर नवभारत के निर्माण में भी उन्होंने अपना पूर्ण सहयोग दिया | अटल जी को अपनी मातृभूमि से इतना प्रेम था कई सार्वजनिक जीवन के अतिरिक्त उन्होंने निजी जीवन को कभी महत्व नहीं दिया | वे जीवन भर अविवाहित ही रहे | भारतीय जनसंघ की स्थापना में भी अटल जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा | भारतीय जनता पार्टी को आज इस मुकाम तक पहुंचाने में अटल जी का अविस्मरणीय योगदान रहा है | जब कुछ ही दिनों में अटल जी की सरकार गिरा दी गयी थी तब संसद में दिए गए उनके भाषण में उनका लोकतंत्र की अवमानना करने का दर्द स्पष्ट झलक उठा था | तब उनके कहे शब्द आज चरितार्थ हो गए है उन्होंने कहा था की कमल खिलेगा जरूर और ऐसा ही हुआ 1999 में अटल जी की पूर्ण बहुमत वाली गठबंधन सरकार ने सफलता पूर्वक अपना पांच वर्षो का कार्यकाल पूर्ण किया  | अटल जी 1955 में जब से राजनीती में आये वो किसी ना किसी रूप में भारत की राजनीती से जुड़े रहे कभी सांसद के रूप में तो कभी मंत्री और कभी भारत के अविस्मरणीय प्रधानमंत्री के तौर पर वे कार्यरत रहे | उन्होंने अपने पूरी जीवन देश को समर्पित कर दिया | वे तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे | 2007 में खराब स्वास्थ्य के कारण वे राजनीती से दूर हो गए | | वे जिस भी क्षेत्र में रहे अविस्मरणीय कार्य करते रहे | विदेश मंत्री के तौर पर भी अटल जी के द्वारा किये गए कार्य देश के उत्थान में अपनी भूमिका सदा ही निभाते  रहे |

 अटल जी ने स्वयं बताया था की डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के व्यक्तित्व ने किस प्रकार उनके जीवन को संसदीय राजनीती की और मोड़ दिया | डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की कश्मीर में नजरबंदी के दौरान मृत्यु से अटल जी इतने दुखी हुए की उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन देश को समर्पित करने का प्रण ले लिया | अटल जी ऐसे नेता थे जो अपने विरोधियो के भी  प्रिय थे | विपक्ष के नेता भी उन्हें अपने आदर्श के रूप में देखते थे | अटल जी  को खो कर देश ने एक अमूल्य निधि को खो दिया है |

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