पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और रोटोमैक के बाद एक और बड़ा घोटाला सामने आया है। घोटाला देश की सबसे बड़ी चीनी मिलों में से एक हापुड़ की सिंभावली शुगर्स लिमिटेड से जुड़ा है। सीबीआई ने हापुड़ की एक शुगर मिल और उसके अधिकारियों के खिलाफ करीब 110 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का केस दर्ज़ किया है। सीबीआई ने ये मुकदमा ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स की शिकायत पर दर्ज किया है। सीबीआई की एफआईआर में कंपनी के डिप्टी डायरेक्टर और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के दामाद गुरपाल सिंह का नाम भी है।
चीनी मिल ने 2012 में 5700 गन्ना किसानों को पैसे देने के नाम पर ओरिएंटल बैंक से 150 करोड़ रुपये का लोन लिया, लेकिन इस पैसे को किसानों को देने की बज़ाय निजी इस्तेमाल में लगाया गया उसके बाद मार्च 2015 में ये लोन एनपीए में बदल गया। उसके बाद भी बैंक ने इस मिल को 109 करोड़ का कॉरपोरेट लोन भी मंज़ूर कर दिया, जो पिछला बक़ाया चुकाने के लिए लिया गया। बाद में लोन की ये रक़म भी एनपीए में बदल गई ।
शिकायत में लिखा गया है कि ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स ने सिंभावली शुगर्स को गन्ना किसानों को गन्ने की खेती करने के लिए कर्ज देने की मंजूरी दी थी। 25 जनवरी 2012 से 13 मार्च 2012 के दौरान 5762 किसानों को ऋण दे दिया गया और करीब 148.59 करोड़ रुपये का कुल ऋण की राशि का भुगतान किया गया था। पूरे 5762 खाते खोले गए और ऋण दे दिया गया लेकिन ये पूरी राशि कुछ दिन बाद वापस कंपनी के एकाउंट में चली गयी और कंपनी ने इसे किसी दूसरे बैंक एकाउंट में ट्रांसफर कर दिया हालांकि, करीब 60 करोड़ रुपये कंपनी ने किश्तों के जरिये बैंक को लौटा दिए थे लेकिन बाकी 90 करोड़ वापस नही किया गया जिसका ब्याज लगाकर कुल बकाया करीब 110 करोड़ रुपये का हो गया।
चीनी मिल ने 2012 में 5700 गन्ना किसानों को पैसे देने के नाम पर ओरिएंटल बैंक से 150 करोड़ रुपये का लोन लिया, लेकिन इस पैसे को किसानों को देने की बज़ाय निजी इस्तेमाल में लगाया गया उसके बाद मार्च 2015 में ये लोन एनपीए में बदल गया। उसके बाद भी बैंक ने इस मिल को 109 करोड़ का कॉरपोरेट लोन भी मंज़ूर कर दिया, जो पिछला बक़ाया चुकाने के लिए लिया गया। बाद में लोन की ये रक़म भी एनपीए में बदल गई ।
शिकायत में लिखा गया है कि ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स ने सिंभावली शुगर्स को गन्ना किसानों को गन्ने की खेती करने के लिए कर्ज देने की मंजूरी दी थी। 25 जनवरी 2012 से 13 मार्च 2012 के दौरान 5762 किसानों को ऋण दे दिया गया और करीब 148.59 करोड़ रुपये का कुल ऋण की राशि का भुगतान किया गया था। पूरे 5762 खाते खोले गए और ऋण दे दिया गया लेकिन ये पूरी राशि कुछ दिन बाद वापस कंपनी के एकाउंट में चली गयी और कंपनी ने इसे किसी दूसरे बैंक एकाउंट में ट्रांसफर कर दिया हालांकि, करीब 60 करोड़ रुपये कंपनी ने किश्तों के जरिये बैंक को लौटा दिए थे लेकिन बाकी 90 करोड़ वापस नही किया गया जिसका ब्याज लगाकर कुल बकाया करीब 110 करोड़ रुपये का हो गया।