अलाउद्दीन खिलजी का वास्तविक नाम अली गुरशास्प था और वे दुसरे शासक थे जिन्होंने 1296 से 1316 तक शासन किया था और खिलजी साम्राज्य के सबसे शक्तिशाली शासक अलाउद्दीन खिलजी ही थे। अलाउदीन खिलजी बहुत ही महत्वकांशी राजा थे, गद्दी हासिल करने के लिए उन्होंने अपने चाचा का क़त्ल कर दिया था और स्वयं राजा बन गए । उनको अपने साम्राज्य का विस्तार करने का जूनून सवार था जिसके लिए उन्होंने बहुत युद्ध किये और जीत हासिल की । अलाउदीन कला प्रेमी था तथा उसके दरबार में अमीर खुसरो तथा हसन निजामी जैसे विद्वान थे । स्थापत्य कला के क्षेत्र में अलाउद्दीन खिलजी ने ‘अलई दरवाजा” और ‘कुश्क-ए-शिकार” का निर्माण करवाया था।
सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी को 'अलेक्जेंडर द्वितीय' के नाम से जाना जाता था। अलाउदीन खिलजी ने दक्षिण भारत पर भी विजय हासिल की तथा अपने साम्राज्य का विस्तार किया और दक्षिण से ही उन्होंने बहुमूल्य कोहिनूर हीरा हासिल किया था । उन्होंने मंगोलो को अनेक बार युद्ध में पराजित किया जबकि उस समय मंगोल बहुत ही शक्तिशाली माने जाते थे ।
कहा जाता है कि रानी पद्मिनी की खूबसूरती पर 'अलाउद्दीन खिलजी' की गंदी नजर पड़ गई थी और उन्होंने चित्तौड़गढ़ के किले में दर्पण में रानी के प्रतिबिंब को देखा और रानी पद्मिनी से आकर्षित हो गए। रानी को पाने के लिए उन्होंने चित्तौड़ पर हमला कर दिया और महाराणा रतन सिंह को पराजित कर दिया, इस कारणवश रानी पद्मिनी ने जौहर कर लिया ।
अलाउद्दीन खिलजी के जीवन के अंतिम दिन बहुत दुखभरे उनकी और उनकी अक्षमता का फायदा उठाकर कमांडर मलिक काफूर ने उनका पूरा साम्राज्य हथिया लिया था ।