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कोरोना वायरस महामारी के चलते मीडिया की अटेंशन पाने वाला दूसरा सबसे बड़ा मुद्दा हैं - दिल्ली की निजामुद्दीन मरकज की तबलीगी जमात। 3 -4 दिन से यह मुद्दा भारत देश के साथ-साथ अन्य देशों में भी निंदा का विषय बना हुआ हैं। यह विषय उस समय से चर्चा का केंद्र बन गया जब दिल्ली की निजामुद्दीन मरकज की तबलीगी जमात में 1500 से भी ज्यादा लोगों ने शामिल होकर कोरोना वायरस को फैलने के डर को बढ़ा दिया। हालाँकि पुरे भारत देश में धारा - 144 लगी हुई थी लेकिन फिर भी इतने सारे लोगों ने कानून को तोड़ते हुए ऐसा कदम उठाया। इन सभी 1500 से ज्यादा लोगों में से काफी लोग कोरोना वायरस के पॉजिटिव केस निकल रहे हैं जिसके कारण कोरोना वायरस देश के दूसरे हिस्सों में भी फैल रहा हैं। इन 1500 लोगों में से करीब 300 लोग विदेशी भी थे। दिल्ली पुलिस (Delhi police) के अनुसार, इस घटना के लिए यानी तबलीगी जमात के जिस शख्स का नाम सामने उभर कर आ रहा हैं वो हैं - मुखिया मौलाना साद।
कौन है मौलाना साद कंधालवी
हाल ही में हुए दिल्ली की निजामुद्दीन मरकज की तबलीगी जमात का मुख्य शख्स मौलाना साद कंधालवी हैं जो अभी फरार हैं। आइये जानते है कौन हैं मौलाना साद कंधालवी।
मुहम्मद साद कंधालवी या मौलाना साद का जन्म 10 मई, 1965 में हुआ था। मौलाना साद कंधालवी का जन्म उत्तर प्रदेश के शामली में हुआ था। हजरत निजामुद्दीन मरकज के मदरसा काशिफुल उलूम से 1987 में आलिम की डिग्री प्राप्त कर मौलाना ने मुखिया का पदवी हासिल की। तब्लीगी जमात की स्थापना 1927 में हुई थी और इसको स्थापित करने वाला कोई ओर नहीं अपितु मौलाना साद के परदादा मुहम्मद इलियास कांधलावी थे। मौलाना साद कंधालवी मुहम्मद इलियास कांधलावी के पड़पोते हैं। इस घटना में जिस शख्स को आरोपी माना जा रहा हैं वो हैं - मौलाना साद। इस समय तबलीगी जमात जिसकी स्थापना मौलाना के दादा ने की थी, उसके मुखिया के रूप में इस संस्था को चला रहा है।
क्या आरोप हैं मौलाना साद कंधालवी पर
कोरोना वायरस के प्रकोप को बढ़ने से रोकने के लिए 23 मार्च से देश में धारा-144 लागू कर दी गई थी। धारा 144 के लागू होने के बाद से भारत में 5 लोगों से ज्यादा के एकत्रित होने पर रोक लगा दी गई थी। धारा 144 लागू होने के बाद भी इस कानून का उल्लंघन करते हुए मौलाना साद कंधालवी ने देश की राजधानी दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात का आयोजन कर दिया जिसमे 1500 से ज्यादा लोगों ने शामिल होने का जुर्म किया। तबलीगी जमात लगने के बाद दिल्ली पुलिस ने मौलाना साद के खिलाफ महामारी अधिनियम 1897 के साथ ही आईपीसी की अन्य कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया है लेकिन मौलाना साद कंधालवी फ़रार हैं।
मौलाना साद कंधालवी का ऑडियो क्लिप - सोशल मीडिया पर वायरल
पिछले 3 दिनों से मौलाना साद कंधालवी का एक ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस ऑडियो क्लिप में जो आवाज सुनाई दे रही है वो हैं मौलाना साद कंधालवी। देश की राजधानी दिल्ली में निजामुद्दीन पर आयोजित मरकज तब्लीगी जमात के मुखिया मौलाना साद कंधालवी इसमें जनता को सम्बोधित करते हुए कह रहे है कि ,"सोशल डिस्टेंसिंग की कोई जरूरत नहीं है, और न ही यह हमारे धर्म में कहीं लिखा है।"
इस ऑडियो क्लिप में मौलाना साद के द्वारा कही बातों को काफी लोग उनका समर्थन करते हुए उनकी हां में हां मिला रहे हैं। इस बात की पुष्टि मौलाना साद कंधालवी के करीबी रिश्तेदारों ने की है कि जो आवाज़ ऑडियो क्लिप में सुनाई दे रही है वो उन्हीं की आवाज हैं। यह ऑडियो क्लिप दिल्ली पुलिस अपराध शाखा तक भी पहुंच गया है। ऑडियो क्लिप में मौलाना के मुरीद बाकी मौलानाओं में कई के खांसने और छींकने की आवाजें भी आ रही हैं।
मौलाना साद के तबलीगी जमात के मुखिया होने पर विवाद - 2016
तबलीगी जमात के जिस शख्स का नाम सामने उभर कर आ रहा हैं वो हैं - मुखिया मौलाना साद जो देश में तबदीली जम्मत का आयोजन करने वाली दो संस्थाओ में से एक का खुद को मुखिया बताता हैं। इस ज़मात को मौलाना के परदादा ने स्थापित किया है और इसी बिनाह पर मुअलना ने खुद को इस संस्था का मुखिया घोषित कर दिया। साल 2016 में मौलाना मोहम्मद जुहैरुल हसन के नेतृत्व में कुछ लोगों ने इस बात को मानने से मना कर दिया कि मौलाना इस संस्था का मुखिया हैं। इस विवाद के बाद दोनों समूह के लोगों के बीच काफी झगड़ें हुए और इन सबने हिंसा का रूप भी लिया था। तबलीगी जमात दो समूहों में बंट गई। मौलाना मोहम्मद जुहैरुल हसन वो शख्स है जो तबलीगी जमातआयोजित करने वाली दूसरी संस्था का नेतृत्व करता हैं।
तबलीगी जमात क्या होती हैं
सुन्नी मुसलमानों के सबसे बड़े संगठन को तबलीगी जमात कहा जाता है। तबलीगी जमात भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे बड़ा संगठन है जिसमे सुन्नी मुसलमान एकजुट होते हैं। जमात का शाब्दिक एक ऐसा समूह जो इस्लाम धर्म का प्रचार करता हैं। तबलीगी जमात के पूर्व मुखिया मौलाना जुबैर उल हसन ने संगठन का नेतृत्व करने के लिए के सुरू कमेटी का गठन किया था। जब भी किसी जमात का आयोजन किया जाता है तो उसके लिए कुछ जगह और अवधि को निश्चित किया जाता हैं। इस निश्चित अवधि में निश्चित जगह की मस्जिदों में सुन्नी मुसलमान मुखिया के नेतृत्व में इस्लाम धर्म का प्रचार करते हैं। वो एक के बाद दूसरी मस्जिद में इसका आयोजन करते है। 40 दिन, चार और पांच माह की जमात की समय अवधि जब पूरी होती है तो वह तबलीगी मरकज जाते हैं। पांच माह की जमात विश्व के कई देशों में जाती हैं।
कैसे काम करती हैं तब्लीगी जमातें?
अगर हम तब्लीगी जमात के कार्य करने के तरीके के बारें में बात करें तो आज के समय में दक्षिण एशिया में तब्लीगी जमातों से 15 से 25 करोड़ लोग जुड़े हुए हैं। जमात के कुछ सदस्य जो केवल सुन्नी मुसलमानों के बीच काम करते हैं और उन्हें पैगंबर मोहम्मद द्वारा अपनाए गए जीवन के तरीके सिखाते हैं। जब किसी तब्लीगी ज़मात का आयोजन किया जाता है तो लोग जमात के सदस्यों को छोटे-छोटे समूहों में बांट देते है। हर समूह का एक मुखिया बनाया जाता है, जिसे अमीर कहते हैं। ये समूह मस्जिद से काम करते हैं। चुनिंदा जगहों पर मुसलमानों की बीच जाकर उन्हें इस्लाम के बारे में बताते हैं। इस साल मार्च के महीने में दिल्ली की निजामुद्दीन इलाके में स्थित बंगले वाली मस्जिद में जमातियों का इज्तिमा हुआ। यहीं पर जमात का मरकज यानी केन्द्र स्थित है। इस ज़मात में इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, नेपाल, म्यांमार , बांग्लादेश, श्रीलंका और किर्गिस्तान से आए 800 के अधिक विदेशी नागरिकों ने शिरकत की। आंकड़ों के हिसाब से इस साल जनवरी से लेकर मार्च तक के महीने में लगभग 70 देशों से 2 हजार से अधिक विदेशी लोग भारत आ चुके हैं जो जमात की गतिविधियों में हिस्सा लेते।
क्या कहती है दिल्ली पुलिस
आज के समय में जहाँ एक तरफ भारतवासी और सरकार कोरोना वायरस को फैलने से रोकने में लगे हुए थे और 21 दिन के लॉक डाउन का पालन कर रहे थे वही दूसरी तरफ दिल्ली की निजामुद्दीन मरकज की तबलीगी जमात में शामिल हुए लोगों ने कानून का उलंघन करते हुए कोरोना वायरस को सारे देश में फैला दिया और कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के आंकड़ें में बढ़ोतरी कर दी। कुछ लोगों के अनुसार, कोरोना वायरस (Coronavirus) से हुई कुल मौतों में से एक चौथाई मौतों का कारण दिल्ली की निजामुद्दीन मरकज की तबलीगी जमात को माना जा रहा। इसके पीछे एक शख्स को माना जा रहा हैं जिसका नाम हैं नाम हैं मौलाना साद।
देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस के संक्रमित मामलें बढ़ने को निजामुद्दीन में हुए इस्लामी प्रचारकों की ज़मात से जोड़ा जा रहा है। इस तब्लीगी जमात के आयोजन में विभिन्न देशों के लोग आये जिसमे भारतीय और गैर भारतीय लोग शामिल थे और इस सभी लोगों ने दिशा-निर्देशों का कथित उल्लंघन किया। कानून के नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में पुलिस ने महामारी अधिनियम 1897 के तहत एक पुलिस एफआईआर (FIR) दर्ज की है जिसके बाद से इस आरोप का आरोपी मौलान साद फरार चल रहा है। पुलिस का कहना है कि लॉकडाउन (Lockdown) के बाबजूद मौलाना साद ने जमात का आयोजन किया और इसकी जानकारी पुलिस और प्रशासन को न देकर अब हजारों लोगों की जिंदगी को खतरे में डाल दिया है।
दिल्ली पुलिस अपराध शाखा सूत्रों के मुताबिक, “मौलाना साद और उनके कुछ साथियों की तलाश है। कई जगह टीमें गई हैं। वे सभी फिलहाल नहीं मिले हैं। इस बारे में हम मुजफ्फनगर (यूपी) पुलिस से भी मदद ले सकते हैं। संभव यह भी है कि हम अपनी ही किसी टीम को कांधला साद को तलाशने को भेज दें। "
दिल्ली पुलिस अपराध शाखा और निजामुद्दीन थाना सूत्रों के मुताबिक, “एफआईआर में मौलाना साद के साथ जिन अन्य पांच लोगों को नामजद किया गया है, ये वही लोग हैं जिन्हें 23-24 मार्च 2020 को एसएचओ निजामुद्दीन मुकेश वालिया ने बुलाकर नोटिस थमाया था। उन्हें नसीहत दी थी कि जमात कर्ताधर्ता तुरंत मरकज हेडक्वार्टर को खाली कर दें।” इसी बातचीत का वीडियो मंगलवार 31 मार्च, 2020 को आईएएनएस के हाथ लग गया था।
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