7 सितंबर 2019 वो दिन था जब इसरो के वैज्ञानिकों के साथ सवा अरब भारतीयों के सपनो के सच करने वाले क्षण असफल हो गया था। उस दिन चंद्रयान-2 का लैंडर 'विक्रम' चाँद पर लैंड करता लेकिन किसी कारणवश ऐसा नहीं हो पाया। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि 22 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसरो के सबसे भारी रॉकेट जीएसएलवी-मार्क 3 की मदद से चंद्रयान-2 लांच हुआ था और उसके करीब डेढ़ महीने बाद 7 सितंबर 2019 लैंडर 'विक्रम' चाँद पर लैंड करना था। लैंडर विक्रम ने लैंडिंग से पहले के सभी अहम पड़ाव पार कर लिए थे लेकिन वो चाँद पर लैंडिंग करने में असफल हो गया था। इस दिन करोड़ों भारतीयों की उम्मीदों को एक झटका लगा था। इस दिन भारत के बहुप्रतीक्षित मिशन चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम का चांद की सतह से मात्र 2.1 किलोमीटर पहले ही इसरो से संपर्क टूट गया और वह क्रैश हो गया था। उस वक्त इसरो से विक्रम लैंडर का संपर्क टूट गया था। विक्रम लैंडर के बारे में कुछ नहीं पता चल रहा था। इसी दौरान नासा का एलआरओ प्रोजेक्ट यान सितंबर से ही कई बार उस जगह के उपर से गुजरा था लेकिन विक्रम की कोई साफ तस्वीर नहीं मिल पा रही थी।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो का चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का अभियान तो पूरा नहीं हुआ था लेकिन विक्रम लैंडर के मलबे का पता लगा लिया गया था। हाल ही में नासा ने जानकारी दी है कि विक्रम लैंडर का पता लगा लिया गया है। कई महीनों से नासा और इसरो लैंडर विक्रम के क्रैश होने की जगह और उसके मलबे को ढूंढने में लगे हुए थे। अब जाकर नासा को इसमें बड़ी सफलता हासिल हुई है और इस सफलता के पीछे किसी और का नहीं अपितु एक भारतीय इंजीनियर की मेहनत है। विक्रम लैंडर के बारे में जानकारी निकलने में सबसे पहले सफलता चेन्नई के कंप्यूटर प्रोग्रामर और मैकेनिकल इंजीनियर शनमुग सुब्रमण्यम (शान) को मिली हैं।
कौन है शनमुग सुब्रमण्यम (शान)
33 साल के शनमुग सुब्रमण्यम पेशे से मकैनिकल इंजीनियर और कंप्यूटर प्रोग्रामर हैं। मदुरै शहर के निवासी काम के सिलसिले में चेन्नई में रहते हैं। सुब्रमण्यम चेन्नई में लेनॉक्स इंडिया टेक्नॉलजी सेंटर में टेक्निकल आर्किटेक्ट के तौर पर काम कर रहे हैं। विक्रम के मलवे का पता लगाने वाले शनमुग सुब्रमण्यम ने नासा के एलान के बाद ट्वीट कर अपने बारे में जानकारी दी।
उन्होंने अपने परिचय में लिखा कि,"'नासा ने चंद्रमा की सतह पर विक्रम लैंडर को खोजने के लिए मुझे श्रेय दिया है। उन्होंने लिखा कि मेरे बारे में कोई नहीं जानता।"
क्या कहता है नासा
अमेरिकी स्पेस रिसर्च एजेंसी (NASA) ने विक्रम लैंडर (Vikram Lander) ने 26 सितंबर को क्रैश साइट की एक तस्वीत जारी करते हुए बयान दिया और लैंडर विक्रम के मलवे के पाए जाने की पुष्टि की। साथ ही नासा (NASA) ने भारत के विक्रम लैंडर (Vikram Lander) की एक तस्वीर भी शेयर की है।
नासा के अनुसार, जब चांद के साउथ पोल की तस्वीरे लली गई तो इन तस्वीरों पर चेन्नई के इंजीनियर शनमुग सुब्रमण्यन (Shanmuga Subramanian) को काम करने के लिए कहा गया। उन्होंने इस प्रोजेक्ट पर जा कर मेहतन ली और आखिर में सफलता हासिल हुई। उन्होंने दुर्घटनाग्रस्त हुए चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर के मलवे का पता लगा लिया।
इस सफलता के बाद सुब्रमण्यन ने नासा को इस बात की जानकारी दी और एलआरओ प्रोजेक्ट (LRO Project) को मलबे मिलने के बारे में बताया। सबसे पहले एलआरओ टीम ने पहले और बाद सभी तस्वीरों की तुलना कर विक्रम के मलबे मिलने की बात को जांचा और इसके बाद बात की पुष्टि करते हुए सच मान लिया। इस सफलत के लिए नासा सुब्रमण्यन की जमकर सराहना की। नासा ने तस्वीरों से यह पता लगाया गया है कि जिस जगह पर लैंडर विक्रम क्रैश हुआ था उस जगह से लगभग 750 मीटर दूर मलबे को ढूंढ निकाला गया। उस मलबे की एक स्पष्ट तस्वीर भी शेयर की।
एलआरओ प्रोजेक्ट (LRO Project)
सूत्रों के अनुसार, नासा ने अपने ‘लूनर रिकॉनसन्स ऑर्बिटर’ (Lunar reconciliation orbiter) से क्रैश हुए लैंडर विक्रम की तस्वीर ली। इस तस्वीर में अंतरिक्ष यान से प्रभावित स्थल को और मलबे की जगह को दिखाया गया है। जानकारी के अनुसार, क्रैश हुए लैंडर विक्रम के कई हिस्से कुछ किलोमीटर तक लगभग दो दर्जन स्थानों पर बिखरे हुए हैं। नासा ने एक बयान में कहा कि उसने स्थल की तस्वीर 26 सितम्बर को साझा की और लोगों से उस तस्वीर में लैंडर के मलबे को पहचानने की अपील की। नासा ने आगे यह भी बताया कि सुब्रमण्यन ने एलआरओ परियोजना से संपर्क किया और मुख्य दुर्घटनास्थल से लगभग 750 मीटर उत्तर पश्चिम में पहले टुकड़े की पहचान की। पहली तस्वीर में मोजेक (1.3 मीटर पिक्सल, 84 डिग्री घटना कोण) की स्पष्ट पिक्चर हैं। दूसरी तस्वीर नंवबर मोजेक में इंपैक्ट क्रिएटर, रे और व्यापक मलबा क्षेत्र अच्छी तरह से दिखाई दे रहा है। मलबे के तीन सबसे बड़े टुकड़े 2x2 पिक्सल के हैं।
डेप्युटी प्रॉजेक्ट साइंटिस्ट जॉन केरल ने कहा सुब्रमण्यन को
सुब्रमण्यन ने खोज की पुष्टि जब नासा को की तो वहां के डेप्युटी प्रॉजेक्ट साइंटिस्ट जॉन केरल ने शानमुगा को लिखा," विक्रम लैंडर के मलवे की खोज के संबंध में आपके ईमेल के लिए शुक्रिया। एलआरओसी टीम ने कंफर्म कर दिया है कि बताई गई लोकेशन पर लैंडिंग से पहले और बाद में बदलाव दिख रहा है। जांच करने पर मलवा भी मिला है। नासा और एएसयू ने इस बारे में घोषणा के साथ-साथ आपकी सराहना की है।"
जॉन केलर ने आगे लिखा कि," आपने इतनी मेहनत और समय लगाकर जो काम किया उसके लिए बधाई। हम ज्यादा समय लेने के लिए माफी चाहते हैं क्योंकि हमें इसके एलान के लिए पूरी तरह से पुष्टि करन जरुरी था और इसके लिए अब हम संतुष्ट हैं।"
इसरो प्रमुख के सिवन का बड़ा खुलासा
इस बात की घोषणा होने के बाद इसरो प्रमुख के. सिवन ने एक बड़ा खुलासा किया हैं। जब चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हुए लैंडर विक्रम का लोकेशन नासा के एलआरओ ने किया तो इसरो प्रमुख ने इस बात की पहले से जानकारी होने का दावा किया और साथ ही यहीं भी कहा कि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने इस मलबे को पहले ढूंढ लिया था। इस बात का खुलासा करते हुए इसरो प्रमुख के. सिवन ने अपनी वेबसाइट पर इसकी जानकारी होने का दवा भी किया। इसरो ने अपनी वेबसाइट पर 10 सितंबर को एक जानकारी अपडेट की हुई है जिसके अनुसार, चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम की खोज कर ली गई है, लेकिन उससे अभी तक संपर्क स्थापित नहीं हो सका है। संचार स्थापित करने के लिए सभी संभावित प्रयास किेए जा रहे हैं।