केंद्र की ओर से प्याज का आयात करने वाली राज्य की स्वामित्व वाली ट्रेडिंग फर्म MMTC ने प्याज की घरेलू आपूर्ति को पूरा करने के लिए प्याज का आयात शुरू कर दिया है। MMTC ने घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने और कीमतों में आई तेजी को नियंत्रित करने के लिए ऐसा किया है। अपने प्रयासों के तहत इस फर्म ने तुर्की से 11,000 टन खाद्य पदार्थ प्याज का ऑर्डर दिया है। हालांकि ये पहला ऑर्डर नहीं है। यह MMTC द्वारा मंगवाया गया दूसरा आयात ऑर्डर है। इससे पहले सार्वजनिक क्षेत्र की फर्म MMTC मिस्र से 6,090 टन का प्याज आयात कर रही है।
पिछले महीने केंद्रीय मंत्रिमंडल ने घरेलू आपूर्ति और नियंत्रण की कीमतों में सुधार के लिए 1.2 लाख टन प्याज के आयात को मंजूरी दी, जो अब प्रमुख शहरों में 75-120 रुपये प्रति किलोग्राम तक आसमान छू रही है। केंद्र ने पहले ही निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है और थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं पर अनिश्चित काल के लिए स्टॉकहोल्डिंग सीमा लगा दी है।
सूत्रों के अनुसार, MMTC ने तुर्की से 11,000 टन प्याज आयात का अनुबंध किया है और अगले साल जनवरी में इस खेद के आने की उम्मीद है।
सार्वजनिक क्षेत्र की फर्म ने मिस्र से 6,090 टन प्याज की पहली खेप के लिए ऑर्डर दिया था जो इस महीने के दूसरे सप्ताह में मुंबई के न्हावा शेवा (जेएनपीटी) में पहुँचेगा। आयातित प्याज को राज्य सरकारों को 52-55 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से पूर्व मुंबई और 60 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से पूर्व दिल्ली में वितरित किया जा रहा है।
प्याज की कीमतों की निगरानी के लिए गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में मंत्रियों का एक समूह पहले ही गठित किया जा चुका है। वित्त मंत्री, उपभोक्ता मामलों के मंत्री, कृषि मंत्री और सड़क परिवहन मंत्री भी इस पैनल के सदस्य हैं। सचिवों की एक समिति (सीओएस) और उपभोक्ता मामलों के सचिव अविनाश. के. श्रीवास्तव भी स्थिति की लगातार समीक्षा कर रहे हैं।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, देश के प्रमुख शहरों में प्याज की कीमतें बीते शनिवार (30 नवंबर) को उपभोक्ता के लिए 75 रुपये प्रति किलोग्राम की औसत बिक्री मूल्य के साथ उच्च स्तर पर बनी हुई हैं, जबकि 120 रुपये प्रति किलोग्राम की अधिकतम दर दर्ज की गई है।
19 नवंबर को खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने कहा था कि 2019-20 के खरीफ और देर-खरीफ सीजन में प्याज का उत्पादन 26 प्रतिशत घटकर 5।2 मिलियन टन रहने का अनुमान है।
प्याज एक मौसमी फसल है जिसकी कटाई अवधि (मार्च से जून), खरीफ (अक्टूबर से दिसंबर) और बाद में खरीफ (जनवरी-मार्च) होती है। जुलाई से अक्टूबर के दौरान, बाजार में आपूर्ति रबी (सर्दियों के मौसम) से संग्रहीत प्याज से होती है।
रामविलास पासवान ने ये भी कहा कि 2019-20 के दौरान, मानसून के देर से आग-मन के कारण खरीफ प्याज के बोये गए क्षेत्र में गिरावट के साथ-साथ बुवाई में 3-4 सप्ताह की देरी हुई। इसके अलावा, कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के प्रमुख राज्यों में बेमौसम लंबे समय तक बारिश हुई। कटाई के दौरान राज्य ने इन क्षेत्रों में खड़ी फ़सलों को नुकसान पहुंचाया।
रामविलास पासवान ने हाल ही में संवाददाताओं से कहा कि यह हमारे हाथ में नहीं है, सरकार अधिकतम प्रयास कर रही है लेकिन प्रकृति से कौन जीत सकता है, कोशिश की जा रही है कि जल्द ही प्याज की कीमतें उचित स्तर पर आ जाएं।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में प्याज 76 रुपये प्रति किलोग्राम, मुंबई में 82 रुपये, कोलकाता में 90 रुपये प्रति किलोग्राम, पुणे में 90 से 100 रुपये प्रति किलोग्राम और चेन्नई में 80 रुपये प्रति किलो बेचा जा रहा है।
आंकड़ों के अनुसार, मध्यप्रदेश के ग्वालियर और विजयवाड़ा में सबसे कम 42 रुपये प्रति किलोग्राम प्या़ज की कीमत बताई गई है।
देश भर में फैले 109 बाजार केंद्रों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय 22 आवश्यक वस्तुओं जैसे- चावल, गेहूं, आटा, चना दाल, अरहर, उड़द दाल, मूंग दाल, मसूर दाल, चीनी, गुड़, मूंगफली का तेल, सरसों का तेल, वनस्पेति, सूरजमुखी तेल, सोया तेल, पाम ऑयल, चाय, दूध, आलू, प्याज, टमाटर और नमक की कीमतों की निगरानी करता है।
अब उम्मीद की जा रही है कि सरकार की प्रमुख राज्यों में इस पहल से जल्द ही लोगों को सस्ता प्याज मिलेगा। हालांकि ये कहना मुश्किल है कि प्राकृतिकक आपदाओं से खराब हुई फसल कब तक ठीक हो पाएगी और प्याज की नई खेप कब तक तैयार होगी।