सूत्रों के मुताबिक, सिद्धार्थ सोमवार की शाम से लापता थे और पुलिस उन्हें ढूंढ़ने में जोर शोर से लगी हुई थी। कॉफी डे एंटरप्राइजेज के संस्थापक वी. जी. सिद्धार्थ का शव बुधवार सुबह नेत्रावती नदी के किनारे मंगलुरु में मिला था। कुछ दिनों से सिद्धार्थ के ऊपर कर्ज़ों को लेकर कुछ दबाब बना हुआ था। सिद्धार्थ ने मरने से पहले लिखे पत्र में कर विभाग और कर्जदाताओं से दबाव का आरोप लगाया है। उन्होंने इस पत्र में निदेशक स्तर के आयकर अधिकारी का भी जिक्र किया है।
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वीजी सिद्धार्थ की लाइफ
'कॉफी किंग' (Coffee King) सिद्धार्थ ने अपने पत्र में खुद को एक असफल लिखा था लेकिन अगर हम उनकी लाइफ के सफर पर एक नजर डालें तो उन्होंने कुछ ऐसे कार्य किये थे जिससे उनकी सफलताओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता हैं।
कर्नाटक के चिकमंगलूर जिले में जन्में वीजी सिद्धार्थ पूर्व केंद्रीय मंत्री और कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे एस. एम. कृष्णा के दामाद थे। उनके परिवार का कॉफी प्लांटेशन से काफी पुराना इतिहास है जो लगभग 140 साल पुराना हैं। जैसा की आप सभी जानते है कि कॉफी डे एंटरप्राइजेज, कैफे कॉफी डे (सीसीडी) के ब्रांड नाम से कॉफ़ी शोपस चलाती हैं जो की कॉफ़ी लवर्स के लिए बेहतरीन जगह हैं। कॉफी डे एंटरप्राइजेज, कैफे कॉफी डे (CCD) ब्रांड नाम से सफलता हासिल की है।
5 लाख से अरबपति बनने का सफर
'कॉफी किंग' (Coffee King) के नाम से पहचाने जाने वाले वी. जी. सिद्धार्थ एक सफल बिजनेसमैन थे। शेयर बाजार में अपनी पहचान बनाने वाले सिद्धार्थ मैंगलुरु यूनिवर्सिटी विश्वविद्यालय से इकनॉमिक्स में मास्टर डिग्री हासिल कर चुके थे। हालाँकि उन्हें विरासत में बहुत ही रहीसी मिली थी क्यूंकि उनके पास विरासत से खेत खलिहान थे। उन्होंने ये सब पीछे छोड़कर अपना नाम बनाया और शोहरत भी हासिल की। सिद्धार्थ कॉफी डे एंटरप्राइजेज के संस्थापक के रूप में अपनी पहचान बनाई।
24 साल की उम्र में 1982 में मैनेजमेंट ट्रेनी व इंटर्न की तरह मुंबई की कंपनी जेएम फाइनेंसियल लिमिटेड से उन्होंने अपने सफर की शुरुआत की। 2 साल बाद 1984 में सिद्धार्थ वापिस चिकमंगलूर लौट आये और अपने पिता के सिखाये रास्ते पर चलने का सोचा। शेयर बाजार की अच्छी समझ होने के कारण उन्होंने यहाँ अपना लक आजमाने का सोचा। अपने पिता द्वारा दिए गए 5 लाख रुपये से अपने सफर की शुरुआत करने वाले सिद्धार्थ अपने काम में बहुत माहिर थे। उन्होंने इस 5 लाख रुपये में से 3 लाख रुपये की जमीन खरीदने के बाद 2 लाख रुपये बैंक में जमा कर लिए। बेंगलुरु में अपना बिज़नेस शुरू करके उन्होंने सफलता की मंजिल तय करना शुरू कर दिया। यही से उनके जीवन में शुरू हुआ 5 लाख से अरबपति बनने का सफर।
सिवान सिक्योरिटीज से ‘वे 2 वेल्थ सिक्यूरिटी लिमिटेड’
मात्र 30,000 रुपये से सिवान सिक्योरिटीज नाम की एक छोटी सी कंपनी के नाम से शेयर बाजार में इन्वेस्ट करना उनकी सबसे बड़ी जीत थी। कुछ समय बाद सन 2000 में इन्होने इसको ‘वे 2 वेल्थ सिक्यूरिटी लिमिटेड’ का नाम देकर एक सफल निवेश बैंकिंग और स्टॉक ब्रोकिंग फर्म का दर्जा दिला दिया। 10 साल तक शेयर बैंकिंग एंड फाइनैंशल सर्विसेज में काम करने के बाद उन्हें परिवार से मिली विरासत में कॉफी के बुसिनेस्स की याद आई।
1993 में अमाल्गमैटेड बीन कॉफी ट्रेडिंग कंपनी लिमिटेड (ABCTCL) की स्थापना करके उन्हें अपने कदम कॉफ़ी किंग बनने की तरफ बढ़ा दिए। केवल दो सालो में सालाना रेवेन्यू 6 करोड़ रुपये वाली कंपनी को भारत की दूसरी सबसे बड़ी निर्यातक सौंपने बनाकर इन्होने जीत हासिल की और इसी के साथ कंपनी का टर्नओवर 25 अरब रुपये कर दिया।
CCD से मिली पहचान और बने कॉफी किंग
1996 में कॉफी कैफे डे (COFFEE CAFE DAY)की शुरुआत करके इन्होने कॉफ़ी किंग की गद्दी हासिल की। आने वाले समय के साथ जब बिज़नेस में सफलता मिलती गई तो इन्होने ना रुकने की ठान ली। भारत के साथ-साथ अन्य विदेशी देशों में भी इन्होने नाम कमाया और कंपनी के आउटलेट खोलें।