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जानिए कैसे काम करती है देश की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी RAW- रिसर्च एंड एनालिसिस विंग

हर देश किसी भी तरह के खतरे से खुद को सुरक्षित रखने के लिए हर संभव कोशिश करता है, और इसमें उनका साथ देती हैं हर तरह की साजिश को नाकाम करने के लिए गठित की गयी सुरक्षा एजेंसीज। जो किसी भी महत्वपूर्ण सूचना को देश से बाहर लीक होने से रोकती हैं। इसके अलावा वह दूसरे देश की सुरक्षा एजेंसीज की मदद से इंटेलिजेंस भी इकठ्ठा करती हैं। रॉ यानि कि “रिसर्च एंड एनालिसिस विंग” एक ऐसी ही भारतीय एजेंसी है जिसको सुरक्षा को मद्देनज़र रखते हुए गठित किया गया था। आइये विस्तार से जानते हैं रॉ क्या है और उसके एजेंट्स किस तरह से ऑपरेट करते हैं।

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आखिर क्यों पड़ी रॉ की जरुरत?

रॉ की स्थापना 21 सितम्बर 1968 में की गयी थी। इसके अस्तित्व में आने का कारण इससे पहले सुरक्षा का जिम्मा संभाल रही इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) की नाकामयाबी बनी। रॉ के गठन होने से पूर्व इंटेलिजेंस ब्यूरो ही सम्पूर्ण रूप से अंतर्राष्ट्रीय मामलों को संभालता था और किसी भी तरह की आतंरिक गतिविधियों  पर नज़र रखता था। आईबी ब्रिटिश गवर्नमेंट की उपज थी जिसे विदेशों से जानकरी इकठ्ठा करने के लिए बनाया गया था।

हालाँकि भारत-चीन और भारत-पाकिस्तान के मध्य हुए युद्ध के दौरान आईबी अपनी जिम्मेदारियों को ठीक से नहीं निभा सकी। इसके बाद देश को एक ऐसी एजेंसी की जरुरत आन पड़ी जो देश में होने वाली किसी भी तरह गतिविधि पर अपनी नज़र रख सके और देश-विदेश से तमाम तरह की जरुरी जानकारी हासिल कर सके। इसको ध्यान में रखते हुए एक नयी ख़ुफ़िया एजेंसी के तौर पर रॉ की स्थापना की गयी।

इसका मुख्य कार्यालय राजधानी दिल्ली में स्थित है और इसकी मदद करने के लिए कुछ अन्य महत्वपूर्ण संस्थाएं इसके अधीन काम करती हैं।

रॉ के पहले चीफ रामनाथ काओ थे और रॉ के वर्तमान निदेशक अनिल धस्माना है

क्या और कैसे काम करती है रॉ?

रॉ का सिद्धांत “धर्मों रक्षति रक्षितः” ही उसकी कार्यप्रणाली का आइना है। जिसका अर्थ है कि जो व्यक्ति धर्म की रक्षा करता है वह हमेशा सुरक्षित रहता है।

रॉ का प्रमुख कार्य किसी भी तरह की जानकारी को इकठ्ठा करना, आतंकवाद पर लगाम लगाना, गुप्त ऑपरेशन्स को अंजाम देना और किसी भी तरह के खतरे से सम्बंधित सेनाओं को अवगत कराना है। इसके अलावा यह विदेशी सरकारों और उनकी सेनाओं की उन गतिविधियों पर भी कड़ी नज़र रखता है जिससे देश को किसी भी प्रकार का खतरा हो सकता है।

रॉ के काम करने का तरीका बाकी एजेंसीज से बिल्कुल अलग है। दरअसल रॉ न ही सूचना के कानून के अंतर्गत आता है और न ही किसी व्यक्ति या संसद के प्रति कोई जवाबदेही रखता है। देश या देश के बाहर किसी भी तरह के ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए उसे सिर्फ प्रधानमंत्री के इशारे की जरुरत होती है।

चयनित लोग रॉ की स्पेशल ट्रेनिंग के लिए यूनाइटेड स्टेट्स, इजराइल, यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों में भेजे जाते हैं। इनके ट्रेनीज को कठिन ट्रेनिंग से गुज़ारना पड़ता है। एक रॉ एजेंट को फाइनेंसियल, इकनोमिक एनालिसिस, साइंटिफिक सब्जेक्ट्स, एनर्जी सिक्योरिटी, स्पेस टेक्नोलॉजी और इन्फोर्मेशन सिक्योरिटी की पूरी जानकारी प्रदान की जाती है ताकि वह हर क्षेत्र में परिपक्व बन सकें।  

कैसे काम करते हैं रॉ के एजेंट्स?

रॉ एजेंट्स को लेकर बॉलीवुड ने तमाम फ़िल्में गढ़ी हैं। इसलिए हम उनके बारे में जितना भी जानते हैं सिर्फ फिल्मों के जरिये ही जानते हैं। फिल्मों में उन्हें एक हीरो की तरह दर्शाया जाता है जबकि असल ज़िन्दगी में उन्हें उनके काम के लिए कभी भी नाम नहीं मिल पाता। उनके काम करने का तरीका इतना गुप्त होता है कि कई बार उनके परिवार वालों को तक उनके ठिकाने का पता नहीं होता है।

रॉ एजेंट्स अपने परिवार वालों या दोस्तों से अपनी पहचान साझा नहीं कर सकते हैं। यह किसी भी डिपार्टमेंट में एक आम नौकरी करने वाले तक हो सकते हैं जो समय-समय पर देश-विदेश से जुड़ी जरुरी इंटेल पास करते रहते हैं।

कुछ एजेंट्स वास्तव में किसी फिल्म की तरह ही जोखिम भरे मिशन पर निकलते हैं और उसे अपनी जान पर खेलकर पूरा करते हैं।

मिशन के दौरान अगर किसी देश में आप गिरफ्तार हो जाते हैं तो सरकार आपको पहचानने तक के इन्कार कर देती है और वह देश आपको उनकी जासूसी करने के जुर्म में कानूनन अपराधी घोषित कर देता है।

रॉ एजेंट्स को अक्सर विदेशों की यात्रा करनी पड़ती है जिसके लिए उन्हें भाषाओं का ज्ञान होना बेहद जरुरी होता है।

एजेंट्स को बहुत सतर्कता से जांच-पड़ताल करनी होती है और सुरक्षा से जुड़ी बैठकों में भी शामिल होना पड़ता है।

किसी भी महत्वपूर्ण जानकारी के लीक होने पर यह जिम्मेदार होते हैं और यदि किसी मिशन के दौरान इनका कोई साथी गिरफ्तार हो जाता है तो इन्हें उसके पास मौजूद पूरी इंटेल को नष्ट करना पड़ता है और उनके साथ कोई भी सम्बन्ध होने से इंकार करना पड़ता है।  

एक रॉ एजेंट में हर तरह के दबाव और वातावरण में कार्य करने की क्षमता होना बेहद जरुरी होता है।

कैसे बनें रॉ एजेंट?

रॉ में शामिल होने के लिए कोई डायरेक्ट भर्ती नहीं होती है। इसके लिए आपको पहले से डिफेन्स सेक्टर या फिर इंडियन सिविल सर्विस में होना जरुरी होता है। जब आप इन डिपार्टमेंट्स में अच्छा तजुर्बा हासिल कर लेते हैं उसके बाद आप रॉ ले लिए इंटरव्यू दे सकते हैं। इंटरव्यू के पास होते ही आप भर्ती के लायक हो जाते हैं और आपको उनकी कड़ी ट्रेनिंग से गुज़ारना पड़ता है।

रॉ में शामिल होने वाले अधिकतर अधिकारी पुलिस विभाग या इंटेलिजेंस ब्यूरो के उच्च पदों पर रह चुके होते हैं। इसमें आईपीएस, सीबीआई, आईएफएस, आर्मी, नेवी, एयरफोर्स, आईएस अधिकारी शामिल होते हैं।

आवेदक का भारतीय नागरिक होना आवश्यक होता है। इसके अलावा उसके माता-पिता को भी भारत का नागरिक होना चाहिए। अंग्रेजी भाषा पर पकड़ अच्छी होना जरुरी है। कंप्यूटर का ज्ञान भी महत्वपूर्ण है। इसके अलावा निवेदक को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वास्थ्य होना चाहिए। किसी भी प्रकार के नशे का आदि नहीं होना चाहिए। इन सब के अलावा आपको अपना करैक्टर सर्टिफिकेट और देश-विदेश के मुद्दों पर अपनी राय भी प्रदान करनी पड़ती है।

रॉ एजेंट्स को भले ही कोई मैडल या सम्मान न मिलता हो लेकिन उनका हर कदम यह सुनिश्चित करता है कि देश की आवाम देश पर आने वाले किसी भी संकट से सुरक्षित रह सके।