25 दिसम्बर को दुनियाभर में क्रिसमस का त्यौहार मनाया जाता है। प्रभु ईशा मसीह के जन्म दिन के रूप में मनाये जाने वाले इस त्यौहार में लोग अपने-अपने घरों को सजाते हैं। गिफ्ट्स का आदान-प्रदान करते हैं। सांता क्लॉस घर-घर जाकर लोगों को तोहफे बांटता है और उनके खुशहाल जीवन की कामना करता है। इस दिन लोग एक दूसरे को मेरी क्रिसमस कहकर बधाइयाँ देते हैं। वैसे तो यह त्यौहार क्रिस्चियन समुदाय के लिए सबसे अधिक मायने रखता है लेकिन आजकल हर समुदाय के लोग इसे उतनी ही धूम-धाम से मनाने लगे हैं।
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क्रिसमस ट्री का महत्त्व-
ऐसा कहा जाता है कि 16वीं शताब्दी के आसपास जर्मनी में एक भिक्षु ने धर्म का प्रचार करने के दौरान त्रिमूर्ति दर्शाने के लिए पहली बार एक त्रिकोणनुमा लकड़ी का इस्तेमाल करके क्रिसमस ट्री बनायी थी। इसके बाद यह एक प्रथा बन गयी और हर बार क्रिसमस के मौके पर ट्री को सजाया जाने लगा।
क्रिसमस ट्री के बारे में तो हम सभी जानते हैं लेकिन क्या आपको मालूम है उस पर लगे सजावटों का क्या अर्थ होता है? आइये जानते हैं-
कई लोग क्रिसमस ट्री पर लगाये गये सजावटों को पीड़ी दर पीड़ी आगे बढ़ाते रहते हैं, वहीं कुछ लोग अपने बच्चों द्वारा घर में बनाए गये सजावटों को ट्री पर टांग देते हैं। यह उनके परिवार और क्रिसमस ट्री के संबंधों से उत्पन्न हुए प्यार को दर्शाता है। क्रिसमस के दौरान अपने रिश्तेदारों और परिवारजनों को भी सजावट तोहफे के रूप में दिए जाते हैं। जिन्हें पर हर वर्ष ट्री पर लगाते हैं और वह उन्हें याद दिलाते हैं कि आप उनके लिए कितने मायने रखते हैं।
एक और प्रथा है जिसके तहत शादीशुदा लोगों को उनके पहले क्रिसमस पर कोई सजावट तोहफे के रूप में दिया जाता है।
किसी जोड़े को उनकी संतान होने पर भी उन्हें सजावट भेंट किया जाता है। लोगों के जीवन में आने वाले ख़ास मौकों को और ख़ास बनाने के लिए यह सजावट काफी मायने रखते हैं।
ट्री में लगायी जानी वाली चीजों में मोमबत्तियां भी ख़ास मानी जाती हैं। उन्हें सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है जो घर से नेगेटिव एनर्जी को दूर करके पॉजिटिव एनर्जी से भर देती हैं।
क्रिसमस ट्री में लाइट्स और रिबन लगाने का भी महत्त्व है। कुछ लोग ट्री पर घंटी भी लगाते हैं। फेंगशुई के अनुसार घंटी की आवाज़ घर को बुरी आत्माओं से दूर रखती है। ट्री पर लाल रिबन में तीन सिक्के बांधकर लटकाने से घर में धन की कमी नहीं पड़ती।
क्रिसमस की एक रात पहले लोग लाल रंग के मोजों को पास में रखकर सोते हैं। दरअसल इसके पीछे भी एक कहानी है। एक गरीब आदमी को अपनी तीन बेटियों की शादी करने के लिए पैसों की जरुरत थी। सांता से उसका दुःख देखा नहीं गया और उन्होंने उन लड़कियों के मोजों को सोने के सिक्कों से भर दिया। इसके बाद 12वीं सदी में नन्स ने गरीब लोगों के दरवाजे पर मोज़े में संतरे, बादाम आदि फल भरकर टांगना शुरू कर दिया। तब से मोजों में उपहार देने की प्रथा चली आ रही है।
ट्री के नीचे तोहफे रखने का रिवाज भी अनोखा है। दरअसल बच्चे अपनी मनपसंद चीजों को एक चिट्ठी में लिखने के बाद उसे मोज़े में डालकर खिड़की या किसी अन्य स्थान पर लटका देते हैं। और ताकि उन्हें ऐसा ना लगे कि सांता ने उसकी विश पूरी नहीं की, उनके माँ-बाप चुपचाप उनके तोहफों को ट्री के नीचे छिपाकर रख देते हैं। कई जगह जहाँ लोग सांता के भेष में तोहफे बाँटते हैं वह भी ऐसा ही करते हैं।
शुरुआत में क्रिसमस ट्री को सेब और जिंजरब्रेड जैसी चीजों से सजाया जाता था लेकिन समय के साथ अन्य सजावटों को बनाया जाने लगा।
क्रिसमस ट्री के ऊपर बालक यीशु की छोटी सी तस्वीर लगाने की भी प्रथा थी जिसे बाद में उस फ़रिश्ते से बदल दिया गया जिसने चरवाहों को यीशु के बारे में बताया था।
कई लोग ‘जेसी’ ट्री परंपरा के अनुसार अपनी ट्री में ऐसे सजावटों को लगाते हैं जो बाइबिल की राह बताते हैं। दरअसल “जेसी” महान यहूदी राजा डेविड के पिता थे, यीशु को जिनका वंशज भी माना गया। नोआ की कहानी दर्शाने के लिए लोग किसी जानवर या संदूक की तस्वीर, डेविड की कहानी दर्शाने के लिए छः नोक वाला सितारा और संसार के सृजन की कहानी बताने के लिए सूरज, चाँद या सितारों वाले सजावटों को लगाते हैं।
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