कहते है भगवान् के घर देर है लेकिन अंधेर नहीं हैं। भगवान् अगर आपसे एक चीज़ लेता है तो बदले में दूसरी चीज़ देता है। एक नेत्रहीन महिला जिसकी ज़िंदगी में अँधेरा ही अँधेरा था प्रांजल कभी यह नहीं सोची थी कि वो इस मुकाम तक पहुंच जाएगी। जी हाँ दोस्तों, हम बात कर रहे है प्रांजल पाटिल की जिन्होंने देश की पहली नेत्रहीन महिला आई.ए.एस. अधिकारी बनने का खिताब पा लिया हैं।
प्रांजल पाटिल (Pranjal Patil) ने केरल (kerala) की राजधानी तिरुवनंतपुरम (Thiruvananthapuram) देश की पहली नेत्रहीन महिला आई.ए.एस. अधिकारी के रूप में सब कलेक्टर की ज़िम्मेदारी का पद संभाल लिया हैं। कहते है जो लोग कभी हार नहीं मानते वो एक दिन जरूर सफल होते है और ऐसी ही कहानी है प्रांजल पाटिल की है। प्रांजल पाटिल के अनुसार, "हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए क्योंकि हमारे प्रयासों से हम सभी को वह सफलता मिलेगी जो हम चाहते हैं'।
प्रांजल पाटिल का सफर
महाराष्ट्र (Maharashtra) के उल्हासनगर की रहने वाली 30 वर्षीया प्रांजल ने उस समय अपनी आंखों की रोशनी खो दी थी जब वह मात्र 6 वर्ष की थी। उनकी आँख के साथ हादसा हुआ था जिसमे उनके एक सहपाठी ने उनकी एक आँख में पेंसिंल मारकर उन्हें घायल कर दिया था। उसके बाद प्रांजल की उस आँख की दृष्टि खराब हो गई थी। उस समय डॉक्टरों ने उनके माता-पिता को बताया था कि हो सकता है कि भविष्य में वे अपनी दूसरी आँख की दृष्टि भी खो दें और दुर्भाग्य से डॉक्टरों की बात सच साबित हुई। कुछ समय बाद प्रांजल की दोनों आंखों की दृष्टि चली गई। लेकिन प्रांजल के माता-पिता ने हौसला बनाये रखा और प्रांजल को उनकी नेत्रहीनता को उनकी शिक्षा के बीच नहीं आने दिया। मुंबई के दादर में स्थित नेत्रहीनों के स्कूल से पढाई करने वाली प्रांजल पढाई में होशियार थी और 10वीं और 12वीं की परीक्षा भी अच्छे अंकों से उत्तीर्ण कर उन्होंने चाँदीबाई कॉलेज में आर्ट्स में प्रथम स्थान प्राप्त किया।
एक इंटरव्यू के दौरान प्रांजल ने बताया था कि 'मैं हर रोज उल्हासनगर से सी-एसटी जाया करती थी। सभी लोग मेरी मदद करते थे, कभी सड़क पार करने में, कभी ट्रेन मे चढ़ने में। बाकी कुछ लोग कहते थे कि मुझे उल्हासनगर के ही किसी कॉलेज में पढ़ना चाहिए पर मैं उनको सिर्फ इतना कहती कि मुझे इसी कॉलेज में पढ़ना है और मुझे हर रोज आने-जाने में कोई परेशानी नहीं है।'
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) का परीक्षा - यूपीएससी का सफर
प्रांजल ने 2016 में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा में 773वां रैंक हासिल किया था। 773वां रैंक आने के बाद प्रांजल को भारतीय रेलवे लेखा सेवा में नौकरी आबंटित की गई थी। हालांकि ट्रेनिंग के समय रेल मंत्रालय ने उन्हें नौकरी देने से इंकार कर दिया था। इसके बाद प्रांजल ने अपने हौसले को बुलंद रखते हुए फिर से परीक्षा दी और 2017 में 124वां रैंक हासिल किया। पाटिल को उनकी प्रशिक्षण अवधि दौरान एर्नाकुलम सहायक कलेक्टर नियुक्त किया गया था। जब उन्होंने अपना पद भार संभाला तो कार्यालय पहुंचने पर लोगों ने उनका स्वागत किया। 2016 में प्रांजल ने अपनी कामयाबी का श्रेय माता-पिता के अलावा अपने पति को दिया था।
प्रांजल ने बताया कि वे हमेशा से ही आईएएस अधिकारी बनना चाहती थीं और उनका सपना अब पूरा हो गया है।