जहा अक्टूबर के आते ही त्योहारों का मौसम शुरू हो गया है वही भारत देश में कई नियमों में बदलाव हो रहा है। इन नियमों का सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था (Economy) के साथ - साथ आम जनता पर पड़ता हैं। कुछ नियम राहत देने वाले तो कुछ आम जनता के बीच विरोध का कारण बनते हैं। कुछ नियम जेब पर भारी पड़ते हैं तो कुछ से हमारे खर्चें कम होते है और हमें आराम मिलता हैं।
आइए हम आपको बताते हैं कि वह कौन से नियम हैं, जिनका सीधा असर आपकी जेब पर पड़ेगा।
मोदी अभियान - "सिंगल यूज प्लास्टिक" पर बैन
2 अक्टूबर 2019 (150वीं गांधी जयंती) से सरकार ने देशभर में प्लास्टिक से बने प्रोडक्ट के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी हैं। इसका सबसे बड़ा कारण बढ़ता हुआ प्रदूषण हैं। हालाँकि इस प्रतिबंध को लगाने से प्लास्टिक इंडस्ट्री में काम करने वालो और उसको चलाने वालो को भारी नुक्सान का सामना करना पड़ सकता हैं। लेकिन देश के लिए यह नियम हित में रहेगा। अब सरकार सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर चुकी है। हालाँकि सरकार के इस कदम से कई नए बिजनेस वालों को फायदा भी हुआ है जैसे पेपर इंडस्ट्री और जुट इंडस्ट्री।
पेट्रोल और डीजल पर कैशबैक बंद
इस अक्टूबर से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के क्रेडिट कार्ड से पेट्रोल और डीजल की खरीदारी पर कैशबैक मिलने का ऑप्शन खत्म कर दिया गया हैं। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने एक अक्टूबर से अपने ग्राहको को यह सुविधा देनी बंद कर दी है। इस बात की सूचना स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने मैसेज के जरिए ग्राहकों को पहुंचाया हैं। अक्टूबर से पहले तक एसबीआई कार्ड से खरीदारी पर 0.75 फीसद तक का कैशबैक मिल जाता था जो कि अब नहीं मिलेगा। इस बात से पेट्रोल और डीजल की खरीदारी वाले कस्टमर नाराज हैं लेकिन कुछ ऐसे भबि लोग है जो इस बात से काफी खुश नजर आ रहे हैं।
अकाउंट में न्यून्तम धनराशि नहीं रखने पर कम होगा जुर्माना
सूत्रों के अनुसार, अभी तक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) अपने ग्राहकों से अपने अकाउंट में मंथली एवरेज बैलेंस (MAB) को नहीं बनाए रखने पर जुर्माना लगता था। अक्टूबर महीने से इस जुर्माने की राशि को 80 प्रतिशत तक की कम कर दिया गया है। इसका फायदा सीधा आम जनता को और मध्य वर्गीय परिवारों को अधिक होगा। मेट्रो सिटी और शहरी इलाके की शाखा में आपको खाते में एवरेज मंथली बैलेंस क्रमश: 5,000 रुपए और 3,000 रुपए रखना होता है। अगर आपके खाते में निर्धारित रकम से 75 फीसद से कम रहता है तो जुर्माने के तौर के 85 रुपए और GST देना होगा। तो वही खाते में अगर 50 से 75 फीसद तक बैलेंस होगा तो 12 रुपए और जीएसटी (GST) देना होगा। इसके अलावा 1 एसबीआई के ग्राहक मेट्रो शहरों के एसबीआई एटीएम में से मैक्सिमम 10 बार फ्री डेबिट ट्रांजेक्शन कर सकेंगे, अभी यह लिमिट 6 ट्रांजेक्शिन की थी जबकि, अन्य शहरों के एटीएम से मैक्सिसम 12 फ्री ट्रांजेक्शन किया जा सकेगा।
ड्राइविंग लाइसेंस और आरसी (RC) में होगा बदलाब
इस साल नया मोटर व्हीकल एक्ट 2019 ( New moter vehicle act) लागू हो चुका है जिसके चलते ट्रैफिक नियमों में बड़ा बदलाव किया गया है। इसी के साथ सरकार ने आरसी (RC) और डीएल (DL) के नियमों मे बदलाव किया है। इन नए नियमों के अनुसार, ड्राइविंग लाइसेंस और आरसी (RC) का रंग एक कर दिया जाएगा। अभी तक ड्राइविंग लाइसेंस और आरसी में माइक्रोचिप ही होते थे लेकिन अब इसमें क्यूआर कोड भी होगें।
GST की दर कम
हाल ही में जीएसटी (GST) काउंसिल की गोवा में बैठक हुई थी जिसमे कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। इस निर्णयों के आधार पर 1 अक्टूबर से कुछ वस्तुओं पर जीएसटी दर कम कर दी गयी हैं। जैसे एक हजार रुपए से कम दाम वाले होटलों पर टैक्स नहीं लगेगा। इसी के साथ 7500 रुपए के टैरिफ वाले कमरे में किराया केवल 12 फीसद होगा।
ओबीसी में होगा ये बदलाव
ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (OBC) ने रेपो रेट से लिंक्ड नए रीटेल व एमएसई लोन प्रॉडक्ट लॉन्च किए हैं। ये लोन 1 अक्टूबर 2019 से उपलब्ध होंगे। एमएसई और रिटेल लोन के तहत ओबीसी द्वारा दिए जाने वाले सभी नए फ्लोटिंग रेट लोन रेपो रेट से जुड़ी ब्याज दर पर मिलेंगे। इन नए प्रॉडक्ट्स में रेपो रेट से लिंक्ड होम लोन की ब्याज दर 8.35 फीसदी से शुरू होगी, जबकि एमएसई के लिए लोन की ब्याज दर 8.65 फीसदी से शुरू होगी।
भारतीय रिजर्व बैंक के रेपो रेट कम, होम और ऑटो लोन होंगे सस्ते
भारतीय रिजर्व बैंक के रेपो रेट की दर में कमी आई हैं। इस कमी के चलते ग्राहकों को फायदा पहुंचाने के लिए एसबीआई, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, इंडियन बैंक समेत निजी क्षेत्र के फेडरल बैक सामने आये हैं। इस महीने की 1 तारीख से इन बैंकों ने अपनी खुदरा कर्ज की ब्याज दरों को रेपो रेट से जोड़ने का फैसला किया है। इससे बैंक ग्राहकों को करीब 0.30 प्रतिशत तक सस्ती दरों पर होम और ऑटो लोन दे सकेगा। बता दें कि अभी तक सभी बैंक एमसीएलआर पर आधारित ब्याज दर से कर्ज देते आये हैं।
इन चीजों पर बढ़ जाएगा जीएसटी
रेल गाड़ी की सवारी डिब्बे और वैगन पर जीएसटी की दर को 5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया है। पेय पदार्थों पर जीएसटी की वर्तमान 18 फीसदी की दर की जगह 28 फीसदी की दर से टैक्सी और 12 फीसदी का अतिरिक्त सेस लगाया गया है।इसके अलावा जीएसटी काउंसिल ने 10 से 13 सीटों तक के पेट्रोल-डीजल वाहनों पर सेस को घटा दिया गया है। काउंसिल ने स्लाइड फास्टनर्स (जिप) पर जीएसटी को 12 फीसदी कर दिया है।
कॉरपोरेट टैक्स में कटौती
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कॉरपोरेट टैक्स में कटौती की घोषणा 20 सितंबर को की थी। इस घोषणा के अनुसार, कॉरपोरेट टैक्स को 30 फीसदी से घटाकर 22 फीसदी कर दिया था। इसके पहले भारतीय कंपनियों को 30 फीसदी टैक्स के अलावा सर-चार्ज देना पड़ता था, जबकि विदेशी कंपनियों को 40 फीसदी टैक्स देना पड़ता था। वित्त मंत्री की इस घोषणा के मुताबिक, अक्टूबर 2019 के बाद से सेटअप किए गए मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के पास 15 फीसदी टैक्स भरने का विकल्प होगा। इसके बाद इन कंपनियों पर सर-चार्ज और टैक्स समेत कुल चार्ज 17.01 फीसदी हो जाएगा।
जीएसटी रिटर्न का नया फॉर्म लागू
5 करोड़ सालाना से ज्यादा टर्नओवर वाले कारोबारियों के लिए जी-एसटी रिटर्न का फॉर्म 1 अक्टूबर 2019 से बदल गया हैं। ऐसे कारोबारियों को अनिवार्य रूप से जीएटी एएनएक्स-1 फॉर्म भरना होगा, जो जीएसटीआर-1 की जगह लेगा। छोटे कारोबारियों के लिए इस फॉर्म को जनवरी 2020 से अनिवार्य बनाया जाएगा। बड़े कर-दाता फिलहाल अक्टूबर और नवंबर माह के लिए जीएसटीआर 3बी फॉर्म भरते रहेंगे।
बदल जाएगी पेंशन पॉलिसी
बता दें कि केन्द्र सरकार ने 1 अक्टूबर से कर्मचारियों की पेंशन में बदलाव कर दिया है। नए नियमों के अनुसार किसी कर्मचारी की अगर सात साल पूरे होने पर मृत्यु हो जाती है तो उस पर निर्भर रहने वालों को बढ़ी हुई पेंशन का लाभ मिलेगा। वहीं इससे पहले आख़िरी वेतन के 50 फीसद के हिसाब से पेंशन मिलती थी। बताया जा रहा है कि यह कर्मचारियों के हित में बड़ा फैसला है।