डॉ. मनमोहन सिंह, ने भारत के 13 वें प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया है। मनमोहन सिंह जी 26 सितंबर को अपना 87वां जन्मदिन मना रहे हैं। आज उनके जन्मदिन के मौके पर हम आपके उनसे जुड़े कुछ अहम फैक्ट्स बता रहे हैं।
एक असाधारण अर्थ-शास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह ने वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में एक सलाहकार के रूप में अपने नौकरशाही कैरियर की शुरुआत की। कुछ लोग बोलने के बजाय काम करना पसंद करते हैं मनमोहन सिंह जी ऐसे ही व्यक्तियों में से एक हैं। उन्होंने इस बात को सच साबित किया है। डॉ. मनमोहन सिंह सुधारवादी अर्थशास्त्री हैं जिन्होंने 1991 में भारतीय अर्थव्यवस्था को भारत के वित्त मंत्री के रूप में उदारीकृत किया था। लोग आमतौर पर उन्हें एक राजनेता या प्रधानमंत्री के रूप में जानते हैं लेकिन हम उनके बारे में आपको आगे और भी बहुत कुछ बताने वाले हैं।
- डॉ. मनमोहन सिंह भारत के प्रधानमंत्री के पद पर काबिल होने वाले पहले सिख और इस तरह से पहले गैर-हिंदू हैं।
- जवाहर लाल नेहरू के बाद, वह पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद फिर से चुने जाने वाले प्रधानमंत्री हैं। हालांकि अब इस फ़ेहरिस्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हो गए हैं।
- डॉ. सिंह का जन्म एक मामूली सिख परिवार में गाह (अब पंजाब, पाकिस्तान में) गांव में हुआ। विभाजन के बाद इनका परिवार अमृतसर, भारत आ गया। इनके पिता का नाम गुरमुख सिंह और मां का नाम अमृत कौर है।
- डॉ. मनमोहन सिंह जी ने अपनी माँ को बहुत कम उम्र में खो दिया था और इनकी परवरिश इनकी दादी ने की।
- डॉ. सिंह जी के गाँव में कोई स्कूल और बिजली नहीं थी, लेकिन इससे उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई और वे हर दिन स्कूल तक पैदल जाते थे। वह मिट्टी के दीपक की मंद रोशनी के नीचे अध्ययन करते थे। उन्होंने अक्सर अपनी सफलता का श्रेय शिक्षा को दिया।
- इन्होंने हिंदू कॉलेज से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की और क्रमशः 1952 और 1954 में पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में अपनी स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद इन्होंने 1957 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र (अंडर ग्रैजुएट डिग्री कार्यक्रम) में किया और 1962 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (पीएचडी) प्राप्त की।
- बीबीसी संवाददाता, मार्क टली के साथ अपने एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया था कि कैम्ब्रिज में रहने के दौरान एकमात्र सिख छात्र होने के नाते, उनके लंबे बाल थे और थोड़ा शर्मीला महसूस करते थे। वह अन्य लड़कों से बचने के लिए गर्म पानी उपलब्ध होने के बावजूद ठंडे पानी से स्नान करते थे क्योंकि वहां बाकी लड़के नहीं आते थे।
- इन्होंने 1958 में गुरशरण कौर से शादी की और इनकी तीन बेटियां हैं। उपिंदर सिंह, दमन सिंह और अमृत सिंह।
- 1962 में मनमोहन सिंह जी ने भारत के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू के सरकार में शामिल होने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था क्योंकि वे अमृतसर में अपने कॉलेज में पढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता का अपमान नहीं करना चाहते थे।
- डॉ. मनमोहन सिंह ने 1966-1969 तक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री राउल प्रीबिश के तहत संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में व्यापार और विकास पर काम किया। जब उन्हें दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से व्याख्याता के रूप में काम करने का प्रस्ताव मिला तो उन्होंने भारत वापस आने का फैसला किया। यह मौका उन्होंने तब छोड़ा जब हर शानदार अर्थशास्त्री संयुक्त राष्ट्र के लिए काम करने का सपना देखता है।
- 1970 और 1980 के दशक के बीच, अपने नौकरशाही कैरियर में डॉ. सिंह ने प्रमुख पदों की एक श्रृंखला का आयोजन किया। जैसे कि विदेश व्यापार मंत्रालय के साथ एक आर्थिक सलाहकार, वित्त मंत्रालय के साथ मुख्य आर्थिक सलाहकार और सचिव-वित्त मंत्रालय। इन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक के निदेशक के रूप में 1976-1980 और फिर 1982-1985 तक इसके गवर्नर के रूप में कार्य किया। वे योजना आयोग के उपाध्यक्ष और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष भी बने रहे।
- जब भारत के प्रधानमंत्री उस समय पी।वी। नरसिम्हा राव ने डॉ. सिंह को अपनी सरकार में वित्त मंत्री के रूप में नियुक्त किया। इन्होंने परमिट राज को समाप्त कर दिया, अर्थव्यवस्था को राज्य नियंत्रण से अलग कर दिया। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति दी और सार्वजनिक क्षेत्र के उपकरणों के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू की। इन सभी सुधारों ने भारत को एक गंभीर आर्थिक संकट से बाहर आने में मदद की।
- डॉ. मनमोहन सिंह को 14 मानद उपाधियों के साथ, डॉक्टर ऑफ सिविल लॉ, डॉक्टर ऑफ सोशल साइंसेज से लेकर डॉक्टरेट ऑफ लेटर्स के साथ कई और उपाधियों से भी नवाजा गया।
- इन्होंने कभी भी लोकसभा सीट नहीं जीती लेकिन 1991 के बाद से लगातार राज्य सभा में असम राज्य का प्रतिनिधित्व करते हुए, भारत की संसद के सदस्य के रूप में काम करना जारी रखा।
- खुशवंत सिंह ने इनकी अखंडता के लिए पुस्तक "एब्सोल्यूट खुशवंत: द लो-डाउन ऑन लाइफ, डेथ एंड मोस्ट थिंग्स इन-इन" में डॉ. सिंह की काफी सराहना की है।
- क्या आप जानते हैं डॉ. सिंह हिंदी नहीं पढ़ सकते हैं लेकिन उर्दू पढ़ने में निपुण है। उनके सभी हिंदी भाषण उर्दू में लिखे गए हैं और उन्होंहने पहले टीवी भाषण के लिए तीन दिनों तक अभ्यास किया था।
- डॉ. सिंह ने कई लेख लिखे हैं जो विभिन्न अर्थशास्त्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। इन्होंने वर्ष 1964 में ‘इंडियाज़ एक्सपोर्ट ट्रेंड्स एंड प्रॉस्पेक्ट्स फॉर सेल्फ-सस्टेन्ड ग्रोथ= पुस्तक लिखी, जिसे भारत की पहली और सबसे महत्वपूर्ण व्यापार नीति आलोचना माना जाता है।
- 1987 में इन्हें पद्म विभूषण पुरस्कार मिला। 2005 में टाइम पत्रिका ने इन्हें 'द टॉप 100 इन्फ्लुएंशियल पीपल इन द वर्ल्ड' के बीच सूचीबद्ध किया। 2010 में, एक अमेरिकी साप्ताहिक पत्रिका ‘न्यूजवीक’’ने इन्हें एक विश्व नेता के रूप में वर्णित किया, जो अन्य राष्ट्राध्यक्षों द्वारा सम्मानित हैं। इसी वर्ष फोर्ब्स की दुनिया के सबसे शक्तिशाली लोगों ’की सूची में इन्हें 18वां स्थान दिया गया। हालांकि बाद के वर्षों में इन्हें आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा। टाइम पत्रिका के एशिया संस्करण ने जुलाई 2012 के कवर पेज में उन्हें "अंडरचीवर" कहा।
- डॉ. सिंह ने कई कार्डियक बाईपास सर्जरी करवाई हैं। 2014 के आम चुनावों में, डॉ. मनमोहन सिंह ने लोकसभा सीट नहीं लड़ी और प्रधान मंत्री कार्यालय की दौड़ से बाहर हो गए।
- ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर" नाम की उनकी जीवनी पर आधारित फिल्म 2019 में रिलीज़ हुई, जिसे खूब सराहा गया।