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अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते चौथी बार में झुका चीन, मसूद अजहर को घोषित किया ग्लोबल आतंकी

पुलवामा और पठानकोट हमले के गुनहगार आतंकी मसूद अजहर पर भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत हुई है. संयुक्त राष्ट्र ने मसूद अजहर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित कर दिया है. भारत को यह सफलता चीन की सहमति के बाद ही मिल पाई है. दरअसल, चीन हर बार मसूद अजहर को आतंकी घोषित किए जाने में अड़ंगा लगाता आ रहा है.

मसूद अजहर पर इस तरह लिया जाएगा एक्शन

यहां आपको यह भी बता दें कि मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित किए जाने के बाद अब उसकी संपत्ति जब्त करली जाएगी. मसूद अजहर के आने-जाने पर भी रोक लगेगी. हालांकि, इसके संकेत मंगलवार को ही मिलना शुरू हो गए थे इस बार चीन अड़ंगा नहीं लगाएगा.

बीजिंग ने दिए थे सब सुलझने के संकेत

मंगलवार को बीजिंग ने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा अजहर को वैश्विक अतंकवादी घोषित करने का यह विवादित मुद्दा सुलझ जाएगा. दरअसल, अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस की ओर से जैश प्रमुख अजहर पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव पर चीन ने मार्च में वीटो लगा दिया था. इससे पहले जैश ने फरवरी में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए हमले की जिम्मेदारी ली थी.

13 मार्च को चीन ने प्रस्ताव को किया था बाधित

चीन ने 13 मार्च को 1267 अलकायदा प्रतिबंध समिति में अमेरिका, ब्रिटेन से समर्थित फ्रांस के एक प्रस्ताव को यह कहकर बाधित कर दिया था कि उसे मामले के अध्ययन के लिए अधिक वक्त चाहिए. चीनी विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा था कि प्रस्ताव पर रोक इस बात को ध्यान में रखते हुए लगाई गई थी कि पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद संबंधित पक्ष को बातचीत करने का वक्त मिल सके.

अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते चीन ने लिया यह फैसला

मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित कराने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव के मद्देनजर फ्रांस और ब्रिटेन के समर्थन से अमेरिका ने सीधे सुरक्षा परिषद में एक मसौदा प्रस्ताव पेश किया था. दरअसल, चीन पर इस मसौदे को लेकर अंतरराष्ट्रीय दबाव था और अमेरिका भी दबाव डाल रहा था. संयुक्त राष्ट्र की प्रधान इकाई में राजनयिकों ने यह चेतावनी थी कि अगर चीन ने अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कराने में बाधा डालना जारी रखा तो सुरक्षा परिषद के जिम्मेदार सदस्य देश अन्य कार्रवाई करने के लिए मजबूर होंगे. जिसके चलते इस बार चीन को अन्य देशों के साथ सहमति बनानी पड़ी और आखिरकार भारत को जीत मिली.

चीन ने टेक्निकल होल्ड हटाया

चीन ने अपने टेक्निकल होल्ड को हटाने को लेकर कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के प्रस्ताव को उसने गौर से पढ़ा और फिर वो इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि मसूद अज़हर को ग्लोबल आतंकी घोषित किया जाना चाहिए. यह भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत है और पाकिस्तान की हार है. मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित किए जाने का फैसला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 Sanctions Committee ने लिया है. इस कमेटी का गठन वर्ष 1999 में अल कायदा के आतंकवादियों और उससे जुड़े संगठनों पर पाबंदी लगाने के लिए किया गया था. आपको बता दें, चीन द्वारा लगातार 3 बार बाधा डाली गई थी.

फ्रांस ने भी किया फैसले का स्वागत

फ्रांस ने भी मसूद अज़हर को ग्लोबल आतंकवादी घोषित किए जाने के फैसले का स्वागत किया है. फ्रांस ने इस पर कहा कि फ्रेंच कूटनीति लगातार अजहर को प्रतिबंधित करने की कोशिश कर रही थी. खासतौर पर फरवरी में पुलवामा हमले के बाद फ्रांस ने 15 मार्च को मसूद अजहर पर राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिबंध लगाया था.

सुरक्षा परिषद की भूमिका

आपको यह बता दें कि संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य होते हैं. जिसमें 5 स्थायी सदस्य हैं और बाकि के 10 अस्थाई सदस्य हैं जो हर 2 साल में बदले जाते हैं. स्थाई सदस्यों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन शामिल है. वहीं अस्थाई सदस्यों में बेल्जियम, जर्मनी, इंडोनेशिया, कुवैत, पेरू, पोलैंड और दक्षिण अफ्रीका शामिल है. सुरक्षा परिषद के इन 5 स्थाई सदस्यों के पास एक विशेष शक्ति होती है जिसे वीटो (Veto Power) कहते हैं. इस ही पावर का इस्तेमाल करके चीन ने तीन बार मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित किए जाने में बाधा उत्पन्न की थी. यहां आपको बता दें कि वीटो लेटिन भाषा का एक शब्द है जिसका अर्थ 'मैं सहमत नहीं हूं' होता है.

पुलवामा और पठानकोट आतंकी हमले के जिम्मेदार मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित कर दिया गया है. जिसके चलते अब अजहर पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए जाएंगे. इसी के साथ यह भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत है. भारत पिछले 10 सालों से मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित कराने की कोशिश कर रहा था. साथ ही इससे पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा है और पाकिस्तान का दोस्त चीन लाख कोशिशों के बाद भी मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित न किए जाने में कोई मदद नहीं कर पाया.