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जयेंद्र सरस्वती 1954 में कांची कामकोटी पीठ के 69वें मठप्रमुख बने थे। कई स्कूलों, नेत्र चिकित्सालयों तथा अस्पतालों का संचालन करने वाले कांची कामकोटि पीठ की स्थापना पांचवीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने की थी, तथा जयेंद्र सरस्वती इसी के मौजूदा प्रमुख थे। उन्हें 22 मार्च, 1954 को श्री चंद्रशेखेंद्ररा सरस्वती स्वामीगल का उत्तराधिकारी घोषित कर श्री जयेंद्र सरस्वती की उपाधि दी गई थी।

कांचीपुरम शंकररमन हत्याकांड मामले में भी उन्हें 2004 गिरफ्तार किया था, हालांकि नौ साल बाद उन्हें बरी कर दिया गया था। इस मर्डर केस में कांचीमठ के शंकराचार्य और उनके सहयोगी मुख्य आरोपी थे। जयेंद्र सरस्वती पृथक तेलंगाना राज्य को लेकर भी चर्चाओं में रहे थे।