File not found
INSPIRATION

बकरीद पर पीएम और सीएम की बधाई, सोशल मीडिया पर छाए बकरे की बलि के ‘मेमस’

आज पूरे भारत समेत पूरे विश्व के कई हिस्सों में मुस्लिम त्यौहार ईद-उल-अजहा का जश्न मनाया जा रहा है। यह मुसलमानों का बहुत बड़ा त्यौहार माना जाता है। भारत देश में लगभग 2 करोड़ की आबादी मुसलमानों की है। इस कारण भारत देश में ईद-उल-अजहा की बड़ी धूम-धाम देखने को मिल रही है। इस ईद को बकरीद ईद भी कहा जाता है। इस दिन बकरे की बली दी जाती है इसलिए इसे बकरीद कहा जाता है।

देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने ट्वीटर के जरिए सभी देश वासियों को ईद की बधाई दी। पीएम मोदी ने ट्वीटर पर लिखा कि ईद-उल-जुहा की शुभकामनाएं। यह त्यौहार हमारे समाज में करूणा एंव भाईचारे की भावना को प्रगाढ़ करें।

पीएम मोदी के बाद सीएम योगी ने भी ट्वीट कर सभी मुसलमानों को बधाई दी। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने  लिखा कि ईद-उल-अजहा का त्यौहार सभी को मिल-जुलकर रहने और समाजिक सद्भाव बनाए रखने की प्रेरणा प्रदान करता है।

इनके साथ-साथ कई राजनेताओं ईद-उल –अजहा की बधाई दी तो कई लोगों ने आज बकरे की दी जाने वाली बली पर सवालिया निशाना लगाया। बकरीद को लेकर कई नेताओं ने राजनितीक रोटियां भी सेकी। ईद और मुसलमानों के इस बकरीद के त्यौहार को लेकर सोशल मीडिया पर कई प्रकार के मेमस भी बनाए गये है किसी में मजाकिया अन्दाज पेश किया गया है तो किसी में इस धर्म को लेकर और जीव हत्या को लेकर सवाल उठाए गये। हर जगह मुस्लिम लोगों द्वारा बकरे की बली दी जाने वाली रस्म को गलत ठहराया जा रहा  है। वैसे इस बार पुलिस प्रशासन ने भी चौकसी बरती हुई है कि किसी भी दल या संगठन द्वारा धार्मिक भावनाओं को आहत करने की कोशिश ना हो। पूरे देश भर में पुलिस प्रशासन सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी अच्छे से संभाल रही है।

जहां आज विश्व भर के कई हिस्सों ईद मनाई जा रही तो वहीं सऊदी अरब में 21 अगस्त को मना ली गई है। हजयात्रियों ने हज की आखिरी रस्म अदा की। ईद- अल –अजहा के बाद हज यात्रा का भी समापन हो जाएगा।

बकरीद क्यो मनाई जाती है? इसके पीछे का कारण क्या है ?चलिए बताते है आपकों।

यह हजरत इब्राहिम के अल्लाह के प्रति अपने बेट इस्माइल की कुर्बानी की याद में मनाई जाती है। हजरत इब्राहिम अल्लाह में विश्वास करते थे। और ऐसा कहा जाता है कि उनकों अल्लाह पर विश्वास दिखाने के लिए अपने बेटे इस्माइल की बलि देनी थी लेकिन जैसे ही उन्होंने अपने बेटे की बलि देने के लिए तलवार उठाई , वैसे ही अल्लाह की दुआ से उनके बेटे की जगह एक दुंबा (जो एक भेड़ या बकरे जैसा था) वहां आ गया और उसकी कुर्बानी दे दी गई। कहते है इसी किस्से के बाद जानवर की कुर्बानी देने की प्रथा चल गई और इसी वजह से प्रत्येक वर्ष बकरीद मनाई जाने लगी, जो अब एक त्यौहार बन चुका है।

कहते है कि इस दिन अल्लाह बेहद खुश होते है और यह त्यौहार अमन शान्ति का संदेश देता है। इस दिन दुआ की जाती है कि अपने किसी भी कार्य से किसी भी व्यक्ति को किसी भी प्रकार का कष्ट ना हो या किसी भी व्यक्ति की भावनाएं आहत ना हो । अगर कोई व्यक्ति इनसे विपरीत काम करता है तो वह इस्लाम में कबूल नही किया जाएगा।